अवधी भाषा से अब शास्त्रार्थ होय
            – ‘विद्रोही’मिति २०७८ बैशाख ७ गते
विद्रोही
अवधी भाषा करोडन वर्ष पुरान है । एक अणु पईदा होयक बाद यही अणु अनेकन खण्डमा बंटी गवा जेहीके कारण तमाम पशु, पंक्षी, जीव, जन्तु वनस्पति अऊर मनई बनें । मनई पहिले आदिम काल मा रहे ऊ न·े रहत रहय । जंगल मा ऊ लोग रहत रहय । कन्द मूल, फल, जंगली जानवर उनके आहार रहय । ऊ लोग आग मा आहार पकायकै नाय खात रहय । काहे कि ऊ समय मा आगी कै जानकारी कोईक नाय रहय । विरुवन कै पाती शरीर मा लपेट रहत रहय । ई मेर धीरे धीरे मनई कै दिमाग मा चेतना पईदा होतय गवा । बौद्धिक चेतना पइदा होयक बाद मा ऊ लोग भाषा केरे विकास करेक जुटी गए । उनके मुंह से पहिल शब्द निकरा ओ३म्, ओ३म् कै उच्चारण से उनके दिमाग तेजी से बढय लाग उन लोग कै दिमाग अतना तेजी से बढा कि बाद मा ऊ लोग पहिल भाषा संस्कृत मा बोलय लागे ।
 ई संस्कृत भाषा देवतन कै भाषा बना । देवतन कै समय मैंहा तमाम राक्षस संस्कृति कै लो...        
        
    
                            






