नेपालगंज नगरीया कै वार्ड नं. ११ मईहाँ साहित्यकार सच्चिदानन्द चौबे ‘आनन्द’ वईठत हय । नेपालगंज मईहाँ आनन्द के नाम लेतय मा लोग सच्चिदानन्द चौबे होंय समझ लेत हंय । नारायण माध्यमिक विद्यालयमा मास्टरी करतय ऊ महेन्द्र पुस्तकालय कै इन्चार्ज तक रही कै काम किहिन । साहित्य क्षेत्र मा उनकै बत्तै पकड हय जत्ता शिक्षा क्षेत्र मईहाँ । ऊ हिन्दी भाषा अऊर अवधी भाषा मा बहुतय गीत, कविता, गद्य, पद्य मईहाँ बहुतय रचना लिखिन हय । तमाम किताब उनकै छपी चुका हय, तमाम किताब छपेक बाँकी हय । पईसा कय समस्या कय खातिर तमाम किताब नाय छप पाईस हय । अवधी रामायण सहित दर्जनौ पुस्ताक निकाल चुके हय । इमारे बहुतय चरचा मा
रहे । साहित्य क्षेत्र मा बहुतय काम किहिन ईमारे उनका बहुतय पुरस्कार, सम्मान मिलि चुका हय । अब फागु पूर्णिमा (होली) परव हय ईमारे हियां हम उनकै होली केरि लेख पर चरचा करवैय । होली कै पर्व मा महामूर्ख सम्मेलन कै नेपालगंजमा बहुतय चरचा होत हय । महामूर्ख सम्मेलन कय आयोजना हिंया पत्रकार राम गोपाल वैशय अऊर मोहनलाल वैश्य जईस व्यक्ति दशकन से करत आए रहे । महामूर्ख सम्मेलन जब होली मा करावा जात रहय । गद्हा दऊड होत रहय, गदहा दऊडमा जो जितय ऊ का पुरस्कार दिया जात रहय । सम्मेलन कै जब अध्यक्षता करत रहें उनका गद्हा मा बईठाय कै जुत्ता, चप्पल, सडा तरकारी, सडा फल कय माला बनाए कै गटई मा पहिनावा जात रहय । अऊर फिर महामूर्खन कै झुण्ड बजारमा घुमतय निकल परत रहय । बाजा बनऊतै जुलुस नगर भरिमा घुमिकै एक ठऊरमा जमा हुई जात रहय । हिंया ब्य·ग्यात्मक भाषण होत रहय । टाईटल से गणमान्य व्यक्ति कै सम्मान किहा जात रहय । ई महामूर्ख वाणी कै एक झलक हिंया साहित्यकार सच्चिदानन्द चौबे ‘आनन्द’ कै हिन्दी भाषा कै लेख मा मिलत हय । इका होलीक अवसरमा सच्चिदानन्द कै महामूर्ख वाणी कै रुपमा सवकै सामने हम रक्खेक चाहित हय । आनन्द कै मूर्खाञ्चल कय प्रतिवेदन अवधी अऊर हिन्दी भाषा मिश्रित हय । ई कडुवा प्रतिवेदन ईमेर हय–
श्री श्री बिहीन सदापति महोयद,
कुआसन पर आसीन दुस्सासन महोदय ।
मूर्खाञ्चलका प्रतिवेदन
श्री विहीन सदापति महोदय, कुआसन पर आसीन दुश्शासन महोदय । समस्त अञ्चलो से पधारे अशिष्ट प्रतिनिधियो तथा मूर्ख सभा की शोभा बढाने हेतु पधारे हुए हमारे पडोसी राष्ट्र भारत के परम् हितैषी मित्रो नगर के व्यापारी, मजदूर, शिक्षक, कर्मचारी, नेता, अभिनेता, रोजगार वाले–बृद्ध, युवा औ समस्त नर–नारी,
भाईयो–भौजाईयो । धोबी और नाईयो । दाढी चोटी वाले । धोती लंगोटी वाले, पैंट टाई वाले, भैंस–गाई वाले । केश कटार वाले, पैजामा सलवार वाले सभीको मूर्ख सम्मेलन की तरफ से बधाई, बजे–ढोल–ढप शहनाई ।
उडे रंग औ गुलाल, चमके लाल लाल गाल, चले रंगकी फुहार, गले जूतन का हार भीगै लंहगा और चोली, खाए विजयाकै गोली, चली दीवानन कै टोली आई फिरसे खेलन होली ।
कटे सुने का माखु न मान्यो बरस–परस कै होरी है ।
होरी है भाई होरी है – बुरा नमानौ होरी है –
भाईयो और बहिनो ः समय के अभाव के कारण हम चौदहो अञ्चल के प्रतिनिधियोद्वारा तयार किया गया प्रतिवेदन संक्षिप्त मे प्रस्तुत कर रहे है इनकेद्वारा पेश किए गए सुझाव यदि आप लोगों को ठीक लगे तो ताडी बजाकर अनुमोदन कीजिएगा ।
सर्वप्रथम मूर्खाञ्चल के सदापति श्री मूर्खानन्द जी महराज अपने अञ्चल की व्यथा कथा का वयान करेंगे, और साथ ही समस्याओ के निदान के लिए समाधान पेश करेंगे । आईए मूर्खानन्द जी महराज–आप अपने कटुवचन से जनताको उपहेलित करिए । कृपया जनता अशान्त होकर मूर्खानन्द महराज के कटु–व्यंग भाषण का कडुवा रसपान करे, और अशान्त चित्त से उनके भाषण के असार तत्वको अशान्त चित्त से मनन् करें । भाषणकी प्रतिक्रिया आप मोबाईल–फैक्स इमेल आदि के द्वारा मूर्ख सम्मेलन कार्यालय से अवश्य पठावे ।
हा“ तो आप लोग तमाखू खाते हुए, बीडी सुलगाते हुए, हो–हल्ला मचाते हुए, आपस मे गाली–गलौज करते हुए, पुलिस प्रहरी से न डरते हुए, पान की पीके चूँकते हुए, मदिरा के नशे मे झूमते हुए, भाषण सुनने का असफल प्रयास करें ।
अब आपके समझ मूर्खाधिराज के सदस्य सचिव महामहिम लंठाधिराज समस्त अञ्चलों का सारभूत प्रतिवेदन प्रस्तुत करने जा रहे हैं – आप इनकी समस्याओं एवं निदानों के प्रति अपना मन्तब्य अवश्यक बताईएगा ।– लंठाधिराज माईक सम्भालते हुए, मंच के नीचे पीक चूकेते हुए, खखार और डकारते हुए बोले –
अश्रध्येय– मूर्खाधिराज महोदय, घूसाञ्चलके प्रतिनिधि घुसखोरीलाल धूताञ्चल के हौजीलाल, धूम्राञ्चल के शराबीलाल, इसी प्रकार खाबो अञ्चल धूर्ताञ्चल, सोमाञ्चल, नोचाञ्चल, खसोटाञ्चल, भ्रष्टाञ्चल आदि अञ्चल के परम स्नेही प्रतिनिधियो ।
आज लोगो ने जो अपनी समस्यायें और सुझाव भेजा है उनको मैं सारगर्भित रुप से जनता के समझ प्रस्तुत करने जा रहा हुँ आशा है, आज सब इसे ध्यान नदेते हुए सुनने की चेष्टा करेंगे
(क) घुसखोरी लाल का मन्तब्य है कि प्रत्येक कार्यालय के सामने एक घूस पट्टिका टांग ही जाय जिसमें किस कार्य के लिए कितना रिश्वत रेट होगा लिख दिया जाय ।
(ख) कुकर्मचारीद्वारा घूस की रसीद दी जाय वह पैसा सरकारी खजाने मे जमा हो और उसमे से सबसे अधिक घूसखोरी करने वाले कुकर्मचारीको वर्षमें होली के दिन १ लाख रुपएका सम्मान प्रदान किया जाय, द्वितीय ५० हजार एवं तृतीय २५ तथा सान्त्वना २०–२० हजार अन्य लोगों को प्रदान किया
जाय । इससे सरकारी आय में बृद्धी होगी और बहुत से काम निपट जायेंगे ।
(ग) हौजीलाल का कहना है कि, कार्यालयों एवं सार्वजनिक संस्थाओं मे जुवा, ढेकुरी जिनमे जुवाघर कम्पलसरी किए जांय, जुवा की नाल से आए हुए पैसो से मूर्ख कवि सम्मेलन कराए जांय और उनमे चाटुकार कवियों को सम्मानित किया जाय । स्थानीय कलाकारों को वहिष्कृत करके आयात कलाकारोंको सम्मान दिया जाय । टिकटे दो किसिमकी बनाई जांय एक सही एक फर्जी आमदनी से ज्यादा घाटा दिखाया जाय इससे व्यवसाय में बहुत प्रगति होगी ।
(घ) भ्रष्टाचारी अञ्चलका कथन है कि देश में भ्रष्टाचार करने के नए नए तरीके खोजे जांय, अन्तर्वार्ता में जो अधिक भ्रष्टाचार के बारे मे ज्ञान रखता हो ऐसे कर्मचारियोंकी नियुक्ती की
जाय । गैर सरकारी संस्थाए खोली जांय, छोटी सी चीज से लेकर बडी चीज तक की खरीद में कमीशन खाने का प्रावधान विकसित किया जाय । भ्रष्टाचारियों के बच्चों को हर क्षेत्र में आरक्षण मिले ।
देशकी राष्ट्रभाषा अंग्रेजी बना दी जाय जिससे रिजल्ट ३० प्रतिशतसे ऊपर न जाय ७० प्रतिशत मूर्खो की संख्या मे बृद्धी होगी जिन्हे हम भ्रष्टाचारी गुण सिखाँएगे ।
अधर्माञ्चल के गुरु अधर्मानन्द का कहना है कि, देश में जहाँ से भी पैसा मिले उस देश से धर्म बेचकर पैसा लावो, अपने देशकी मूर्तियों की तस्करी की जाय, बैद्धिक धर्मगन्थोको जलादिया जाय, देश में नैतिक शिक्षाका ज्ञान न दिया जाय । पूजापाठ, संस्कार आदि सब रोग दिए जांय । इससे नास्तिको की संख्या बढेगी तथा पश्चिमी सभ्यता की बृद्धि होगी और हमारे देशको आर्थिक लाभ होगा । बच्चोंको अंग्रेजियत में ढालना होगा । जिस से हमारी संस्कृति मिट जाय । और अधर्मियों की संख्या में बृद्धि हो । इससे निर्वाचन में हमारा बहुमत आएगा ।
धूर्ताञ्चल ः का कथन है कि कार्यालयों के जितना ढीला सुस्ती से हो सुलझाए जाँय इससे धूर्त कुकर्मचारियों का मनोबल बढेगा, उनके स्तर मे सुधार होगा, फ्री मे ह्स्किी–वियर–पान–सिगरेट और गिफ्ट मिलेगा महीना आराम से गुजर जायेगा– पुरी तलब बच जायेगी ।
ध्रूमाञ्चल के प्रतिनिधि शराबीलाल के प्रतिवेदन मे कुछ खास सुझाव दिए गए है । आज कौन ऐसा घर है जहाँ ‘चाय’ कल्पवृक्ष की तरह न पहुँच गई हो । साथ ही टोला–मोहल्लो मे ‘गाँजा–भाँग–स्मैक–हिरोइन, बीडी–सिगरेट, जैसे ध्रुमपान और गुटका जैसे नशीले पदार्थो के अड्डा न हो । हम चाहते है इनके स्तर मे और बृद्धी हो देश के नौजवान असमय में ही बूढे हो जांय, घर की लोटिया, थरिया विक जांय इससे हमारे एजेन्टो का आर्थिक स्तर मे सुधार होगा और देशकी चेतना धुँए मे उड जायेगी अतः इनके अड्डे खुलेआम खोल दिए जांय ।
कामाञ्चल ः के प्रतिनिधि कामदेव महराज का कहना है कि यदि देश मे प्रगति करना है तो काम की शरण मे आवो कामोतेजना जगाने वाले परिधानों को पहिनने का चलन बढावो काम शक्ति युक्त औषधियोंका निर्माण बढे । घी–दूध, घांस–फूस खाने का चलन खतम किया जाय । आभिष भोजन अण्डा आदि खानेका चलन शत प्रतिशत पहुँचाना होगा किसी भी पार्टी आदि मे शाकाहारी भोजन न रख्खा जाय । होटलो में भी दारु–वियर आभिष भोज खिलाया जाय इससे रक संस्कृतिकी बुद्धी होगी और कामवासना से बलात्कार जैसे अपराध बढेगें इनसे देश को एक सवल जनशक्ति मिलेगी और नारियों का उद्धार होगा ।
खोवा अञ्चलके प्रतिनिधिका कहना है कि देशकी आर्थिक स्वास्थ्य, शिक्षा आदि जैसी समस्याओं का निराकरण कुछ कार्यो से सम्भव होगा । जैस ः
१) भावबृद्धि, मिलावट, कमीशन, रिश्वत, जमाखोरी, तस्करी, मधुशाला, सुन्दरी निर्यात, टयूशन प्रथा, अंग्रेजी भाषा, ध्रमपान, आदि बहुत ऐसे कार्य है इनको करने की पूर्ण छुट दी जाय पर इनके ऊपर टैक्स लगाया जाय जाली दस्तावेज, बिल–भाउचर आदि बनाकर कार्य सम्पादन का नक्शा पेश हो ऐसा करने से आर्थिक लाभ बढेगा । अशिक्षा बेकारीको बढावा दिया जाय इससे हमारे खोवा अञ्चलकी जनसंख्या चोर–डाकुओं–उठाईगीरो–गिरहकट एवं अपहरणकर्ताओंकी बृद्धि होगी और अञ्चलका सुधार होगा ।
कुल अन्य अञ्चलो की मिली जुली समस्यायें संक्षिप्त मे पेश कर रहा हुँ । जैसे ः चैनलो पर अश्लील प्रदर्शन एवं नग्न विज्ञापन, नग्न ब्यूटी कम्पटीशन, प्रेम एवं विवाह पर टैक्स, परिवार नियोजन पर टैक्स, अंग्रेजी के अलावा अन्य भाषाओंको पढ्ने पर टैक्स, शेक्स पर पाबंदी हटाई जाय, नगर के बाहर औभसार गृहका निर्माण हो, पुस्तकालयों मे अश्लील पुस्तके रक्खी जाय, योग्य, इमानदार, कर्मठ, धार्मिक व्यक्तियों की सामाजिक उपेक्षाकी जाय, बुद्धोको घर मे ना रक्खा जाय उनके लिए कोई सस्ता आश्रम खोल दिया जाय । जहाँ उन के जीवनके अन्तिम दिन कष्ट से बीतें । नए–नए कानून बनाए जांय जिसमें समस्त देशबासियोको अपनी भाषा–राष्ट्रियता याद नरहे ।
आशा है हमारे सभी अञ्चलोंकी समस्यायोंका संविधान मे स्थान होगा और संविधान सभा में सम्बोधन होगा । वाल शोषण–हत्या, हिंसा, अपहरण, चंदा, लूट, नारी अपमानको बढावा
मिले ।
अब काब्याञ्चल सदस्य – सच्चिदानन्द से अनुरोध करते है वे अपनी काब्य रचनाओं से जनताको मनोरंजित करे – पुलिस प्रशासन सज्जन, इमानदारो की बात नामाने बल्कि भ्रष्ट नेताओं की बात सुने और सज्जनो को ताडित
करें ।, निर्वाचन मे उन लोगो को टिकट दी जाय जो खूनी हो, बलात्कारी हो, बेइमान हो, जिनके साथ चाटुकारों की जमात हो, गुण्डा, लोफर, फटहे–उचक्के, चुगुलखोर जिनके सल्लाहकार हो ।
अन्त में पशुमिति नाथ के इस नंगे– धडंगे देश के वासियो से हमारी अपील है कि उनके पद चिन्हो पर चले उनकी शरण में जांय वही हमारे सवसे बढे गुरु है । कलयुग जैसे–जैसे बढेगा अधर्मी, अज्ञानी, आदिको की जनसंख्या मे बृद्धि होगी और कलयुग मे इन्हीका राज्य होगा ।
अन्त में ‘संघेशक्ती कलयुगे’
समस्त उपस्थित नर–नारियो, पापी व्यभिचारियो
जुआरी–शरावियो, चमचो–चाटुकारो को हमारा
धन आबाद स्वयं दुःख रहो और औरोंको दुःखी रक्सो
यही मूर्खेश्वर की हार्दिक शुभकामना है ।
“बुरा न मानौ होली है”
(स्रोतःसमाज जागरण साप्ताहिक)