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एक महान व्यक्तित्व : प० योगेश्वर प्रसाद मिश्र ‘वैद्य’ जी

२०७७ फागुन २० गते
बाँके जिला मईहाँ स्व. प० योगेश्वर प्रसाद मिश्र ‘वैद्य’ जी तमाम समाज सेवा कार्य करिकय ऊ कऊनौ समय मईहाँ बहुतय चर्चित भए रहें । वैद्य जी कय जनम १९७२ साल सावन महिना मईहाँ भवा रहय । बाँके जिला मईहाँ ऊ समय मा कऊनौ पत्रपत्रिका नाय रहय । ई बात का मनन करिकय २०१६ साल मा मात्रभूमि हिन्दी साप्ताहिक पत्रिका वैद्य जी दर्ता कराईन रहय । ई मेर वैद्य जी बाँके जिलामा पत्रकारिता कय निउ डालयक काम किहिन रहय । नेपालगंजमा ऊ ई पत्रिका कय प्रधान सम्पादक बन कय काम किहिन । १९९३ साल मा नारायण हाई स्कूल कय स्थापना अऊर ऊ कय बाद सरस्वती विद्यालय आऊर प्रेम पुस्तकालय ‘महेन्द्र पुस्तकालय’ जईस संस्था कय स्थापना उन्ही कय प्रेरणा अऊर सहयोग से भवा रहय । वैद्य जी कुछ दिन तक नारायण माध्यमिक विद्यालय मा अध्यापन जईस काम किहिन । १९९८ मा नेपाल राज्य प्रज्ञा सम्मेलन कय स्थापना करिकय हिंया राजनीतिक चेतना फईलौतय २००३ मा प्रेम पुस्कालय कय अध्यक्ष, २००४ मा अडिटर, २००७ साल कय जनक्रान्ति कय बाद उदयपुरमा बडा हाकिम, २०१६ सालमा नेपालगंज नगरपालिका कय सदस्य तक बने । ई मेर देखा जाय तौ स्व. प० योगेश्वर प्रसाद मिश्र नेपालगंज कय बौद्धिक जगत कय अगुवा रहंय ।


आज हम वही महान व्यक्तित्व कय हिंया चर्चा करय जाईत हय । जईस अवधी भाषा मईहाँ एक कहावत हय ‘होनहार विरवान कय होत हय चिकनय पात’, ई मुहावरा वैद्य जी के उप्पर बहुतय दुरुस्त परत हय । उन कय जनम गोसाँई गाँव भन्सार रोड के एक कर्मकाण्डी ब्राहम्मण कुल मईहाँ भवा रहय । ब्राहम्मण कुल शिक्षा कय क्षेत्र मईहाँ आगे रहतय आवा हय । ब्राहम्मण जादा शिक्षा लेतव हंय अऊर शिक्षा सब का देतव हंय । ‘वैद्य’ जी कय परिवार भी कुछ पढा लिखा रहय ईमारे अपने बेटवा का पढावेक काम शुरु किहा गवा । ‘वैद्य’ जी का पहिल शिक्षा देय कय काम घर से शुरु भवा । बाद मईहाँ हिन्दी भाषा बिशारद संस्कृत मध्यमा अऊर आयुर्वेद मईहाँ आचार्य प्रथम खण्ड के परीक्षा देवावा गवा । ई परीक्षा मईहाँ ऊ पास होइगए । आगे कय पढाई के खातिर भारत उत्तरप्रदेश कय राजधानी लखनऊ मईहाँ उनका भेजा गवा ।


मूला घर कय समस्या कय खातिर उनका आपन अध्ययन छोडी के वापिस घर लऊटेक परि गवा । भारत कय स्वतन्त्रता आन्दोलन के प्रभाव इन के उप्पर बहुतय पडा रहय । ऊ भारत कय महान स्वतन्त्रता सेनानी नेताजी सुभाष चन्द्र बोस से बहुतय प्रभावित रहें । ईमारे ऊ तमामन समय मईहाँ नेता जी सुभाषचन्द्र बोस जईसेन कपडा पहिनत रहय । स्वतन्त्रता हमार जनम सिद्ध अधिकार होय, ई बात का मनन करिकय ऊ हियाँ बाँके जिला मईहाँ निरंकुश जहाँनिया राणा शासन के विरोध मईहाँ आवाज उठावय लागे । राणा शासन कय अंत अब होहिन चाहि ई प्रतिज्ञा करिकय राणा शासन कय विरोध मईहाँ काम करय लागे ई मारे इनका देश निकाला भी किहा गवा । देश निकाला भवा फिर भी ऊ नेपाल–भारत सीमा क्षेत्र कय नगिचेन बईठ के राणा शासन कय विरोध मईहाँ काम करेक काम चालू राखिन । कतनौ बार राणा विरोधी गतिविधी कय प्रमाण मिला ई मईहाँ उनका तमामन बेरियामा जेल मईहाँ डालि दिहा गवा ।


ऊँच शिक्षा लेवय के उनी के बहुत मन रहय । मूला ऊँच शिक्षा उनका मिलेक अवसर नाय मिल पाईस ई बात कय खातिर उन का बहुतय मलाल रहय । हम ऊँच शिक्षा नाय लय पाएन मूला अपने देश कय नागरिकन कय बेटवा, बिटियन का शिक्षित जरुर बनाईवय ई बात का ऊ ठान लिहिन, ई शिक्षा देय के खातिर हियाँ विद्यालय बनवावेक जरुरी रहय । ई काम करय कय खातिर आर्थिक अऊर बौद्धिक सहयोग कय बहुतय आवश्यकता रहय ।
कहा गवा लक्ष्य साधि लिहा जाय तब कऊनऔं काम कठिन नाय हय । ‘करत करत अभ्यास का होतय हय सुजान’ ई बात जानि कय ऊ ई काम पुरा करय कय खातिर जी जान से जुटि गए । विद्यालय कईसे बनाईव ई कय चिन्तन मनन करतय ऊ ई कय अभ्यास मईहाँ जुटि गए । ई चीज कय कमि पुरा होत देखाई परय लाग । उन कय भेट हुईगा समाजसेवी कृष्ण गोपाल टण्डन से । टण्डन जी ईनका बताईन कि श्रीमति औतार देई चऊधराईन एक विद्यालय बनवावेक चाहत हंय । ई काम का पुरा करय कय खातिर आप सहयोग देओ तब ई काम पुरा होय सकत हय । फिर का ई दुनव जना निकलि परे चऊधराईन से मिलय खातिर । तमाममन बात कय बाद मईहाँ चऊधराईन जी इनका विद्यालय वनावेक ठाँव अऊर तमाम धन देयक तयार हुई गई । ई के बाद मईहाँ विद्यालय बना, ऊ कय वैधानिकता देकय खातिर एक आमसभा करिकय सं. १९९२ वसन्त पंचमी (सरस्वती पुजा) के दिन मईहाँ जनरल मेघराज शम्शेर कय अध्यक्षता मईहाँ उद्घाटन विद्यालय कय किहा गवा । ई विद्यालय कय पहिल प्रधानाध्यापक वैद्य जी बने । उन का महिना कय तलब ५०।– रुपियां दिहा जाय लाग । मूला जब ईके इजाजत पावेक सरकार से निवेदन किहा गवा तब सरकार ई विद्यालय मईहाँ आपन प्रधानाध्यापक भेज दिहिस । सरकार के ऊ प्रधानाध्यापक जब विद्यालय मईहाँ हाजिर भवा तब ऊ कय विरोध दानदाता चऊधराईन जी अऊर टण्डन जी किहिन । ई कय बाद मईहाँ ऊ प्रधानाध्यापक का ई विद्यालय से वापिस जाय पडा । ऊ के बादिमा विद्यालय अनिश्चित काल तक के लिए बन्द हुईगा ।


राणा शासन कय अंत होय के बादिम टण्डन जी लोकसभा कय मनोनित सदस्य हुई कय काठमाण्डु जब गए तब उनही कय प्रयास मईहाँ विद्यालय का फिर से उद्घाटन करिकय खोला गवा ।
ई विद्यालय प्राईमरी से लईके डिग्री कलेज तक बनि गवा । ई विद्यालय कय नाम औतार देई चऊधराईन कय पति स्व. लक्ष्मी नारायण वैश्य कय नाम से बना जिके नाम अवहीं तक नारायण माध्यमिक विद्यालय हय । नारायण माध्यमिक, नारायण इन्टर कलेज, फिर नारायण डिग्री कलेज हुई गवा । पहिल कय नाम परिवर्तन करे कारन नेपालगंज मईहाँ महेन्द्र बहुमुखी कैम्पस बना । ई कय सञ्चालन मईहाँ औतार देई चऊधराईन शिवप्रसाद बाजवेयी अऊर प० योगेश्वर प्रसाद मिश्र ‘वैद्य’ जी राम गोपाल टण्डन, राम प्रसाद देव, शिव प्रसाद वाजपेयी जी के बहुतय सहयोग रहय । ई विद्यालय कय बादमा प्रधानाध्यापक भए दान बहादुर सिंह । अऊर ई विद्यालय पुरय तरीका से साधन सम्पन्न भवा, दानवीर कप्तान फत्ते जंग शाह कय वजह से ई मईहाँ सरदार सोम प्रसाद उपाध्याय, सरकार वकस चऊधरी जईसन लोगन के बहुतय बडा योगदान रहय ।


शिक्षा क्षेत्र मईहाँ अतना बडा काम होय के बादि मईहाँ छात्रा लोगन का भी पढावेक खातिर चिन्तन मनन होय लाग । ई के खातिर नेपालगंज नगर कय कछु समाजसेवी अऊर शिक्षा प्रेमिन लोगन कय एक बईठक बुलवावा गवा अऊर छात्रा लोगन का पढावेक प्रस्ताव सव कय आगे रक्खा गवा । ई प्रस्ताव का सब लोग स्वागत किहिन । ई विद्यालय कय भी स्थापना हुई गवा । मूला दुनव विद्यालय कय सञ्चालक समिति एकय रहय । राम गोपाल टण्डन, औतार देई चऊधराईन, शिव प्रसाद बाजपेयी, गोमती प्रसाद, श्री डि. विश्वजंग, गोवर्धन चऊबे जईस लोग ई मईहाँ आपन पूरा सहमति जनाईन अऊर ई विद्यालय कय शुरुआती संचालन मईहाँ आपन आपन बहुतय बडा योगदान दिहिन ।


मूला ई काम मईहाँ सक्रिय होय के नाते ईन का देश निकाला कय नोटिस सरकार से मिला अऊर ई बहुतय दिन आपन घर बार छोडि कय बहुतय दिन तक रुपईडीहा बजरियए मईहाँ चुप्पय चुप्पय बईठ रहय । कबहुँ रुपईडीहा बईठय कबहुँ हियां से दूर चले जाय । बादि मईहाँ राणा शासन कय अंत होई जायेक बाद मा ईनका बडा हाकिम शेर बहादुर शाही से (सरस्वती विद्यालय) कय उद्घाटन करवावा गवा । ई काम मईहाँ सहयोग देय वाले कर्मचारी बलभद्र खरेल अऊर सुवेश्वर लक्ष्मी राज उपाध्याय रहय ।


ई विद्यालय चलावय कय खातिर नगर कय बहुतय लोग आर्थिक सहयोग किहिन रहय । ई विद्यालय बनावयक ठांव टण्डन जी कय प्रयास से भवा रहय । टण्डन जी हियां कय एक धनी मनई अऊर शिक्षा प्रेमी राम गुलाम शाहु का ई काम करय कय खातिर मनाए लिहिन रहय । ई मेर से टण्डन जी अऊर वैद जी के आग्रह अऊर सक्रियता से राम गुलाम शाहु जी भवन निर्माण करय खातिर ठांव से लइके विद्यालय निर्माण मईहाँ आवय वाला खरच अपने जिम्मा मईहा लय लिहिन रहंय ।


विद्यालय मईहाँ प्रयोग मा आवय वाला लकडी ऊ समय मईहाँ ए.आई.जी. पी. तिर्थ बहादुर शाह २ हजार फुट लकडी कय व्यवस्था कराईन रहय । ई काम करय कय कारन ई दानदाता लोगन कय प्रशंसा नगरवासी लोग खुवय किहिन रहय । ऊ समय कय शुभ चिन्तक मईहाँ राम गुलाम शाहु अऊर वैद्य जी कय अलावा बडा हाकिम बद्री विक्रम थापा, कृष्ण गोपाल टण्डन, केदारनाथ टण्डन, लाला ओमकार मल खेतान, रामचरन लाला, राम प्रसाद वैश्य, श्री जंग शाह अऊर भुवनेश्वर बाजे जईसेन लोग रहय । विद्यालय नेपालगंज मईहा रक्खा गवा वादिम ऊ बहुतय तरक्की किहिस । आज वही विद्यालय हियां टेन प्लस टु के रुप मईहाँ चलत हय । वैद्य जी कय प्रयास से नेपालगंज मईहाँ दुई ठव महत्वपूर्ण अऊर बहुतय बडा काम भवा । नेपालगंज कय भविष्य सवांरय कय जोश अऊर जज्वा ‘वैद्य’ जी मा बरकरार रहय । कामयाबी मईहाँ कामयाबी मिलतय जाय से ऊन मा हऊसला बढतय गवा । यहि वेरिया मईहाँ वैद्य जी एक समय मा तौलिहवा गए हुँवा ऊ एक सार्वजनिक पुस्तकालय देखिन । अतना छोट स्थान मईहाँ व्यवस्थित पुस्तकालय देखि कय ऊ भऊचकियाय गए । ऊ बहय समय मईहाँ सोचिन कि हियां कय नानमून ठऊँवा मईहाँ अतना बढिया सार्वजनिक पुस्तकालय हय नेपालगंज मईहाँ एक से एक बढिया ठाँव हय हुँवा बढिया पुस्तकालय जरुरय बनवाईव फिर ऊ हियाँ नेपालगंज पहुँचे अऊर हियां पुस्तकालय कय बनवावेक खातिर एक बईठक बुलवाईन । ई बईठक मईहाँ भाग लेयक खातिर बुलवावा गवा बहु अध्ययनशील मनईन का । ई अध्ययनशील व्यक्तित्व लोग रहय महावीर प्रसाद गुप्ता, मूलचन्द आजाद गोवद्र्धन प्रसाद चौबे, शिव प्रसाद वाजपेयी, वासुदेव शर्मा अऊर पूर्णराज उपाध्याय । ई लोग पुस्तकालय बनवावेक खातिर पुस्तक एकठ्ठा करय कय खातिर लाग गए ।


शुरुआतय मईहाँ २ हजार से जादा पुस्तक एकठ्ठा कर लिहा गवा । ई पुस्तक का रखावयक कय अलमारी केर जिम्मेदारी दिहा गवा प० भगवती प्रसाद द्विवेदी जी का । ई काम करय कय अस्थाई इजाजत भी मिलि गवा प्रेम अऊर सद्भाव फइलावेक सन्देश देयक मारे ई पुस्तकालय खोला गवा रहय ई मारे पुस्तकालय कय नाम दिहा गवा ‘प्रेम पुस्तकालय’ । शुरुवात मईहाँ पुस्तकालय श्रीधर शर्मा कय घर मईहाँ रक्खा गवा, फिर किशुन लाल हलवाई कय घर के उप्पर कय मंजिला मईहाँ खोला गवा, ई समय कय पुस्तकालय कय प्रबन्धकर्ता बनावा गवा छोटेलाल गुप्ता का । वादिम पुस्तकालय बनावेक कछु मिला, मूला ऊ कय नाम का महेन्द्र पुस्तकालय रक्खा जाय, ई शर्त रहय । ई मारे प्रेम पुस्तकालय कय नाम बदलि कय महेन्द्र पुस्तकालय आज जऊन ठऊवा मईहाँ बना हय उही ठऊवा मईहाँ उद्दी लाल रहत रहंय । यही ठऊवा मईहाँ महेन्द्र पुस्तकालय कय निर्माण बहुतय परिश्रम से प० योगेश्वर प्रसाद मिश्र ‘वैद्य’ जी करवाईन । आज बहय पुस्तकालय हियां सभय सुविधा से सम्पन्न हय । वैद्य जी कय शिक्षा प्रसार काम हियंए नाय रुका बढ्तय रहा जब ‘वैद्य’ जी कय पोस्टि· भवा उदयपुर मईहाँ हुँवा ऊ अपनय बहु शिक्षाप्रेमिन कय सहयोग से एक मिडिल स्कुल अऊर एक पुस्तकालय हँुवा बनवाईन रहय । ई काम मईहाँ उनका साथ हरि प्रसाद उपाध्याय, कप्तान तुल बहादुर, बहिदार पुष्पराज अऊर हरि प्रसाद मालसुब्बा जईसन लोग दिहिन रहय । नेपालगंज मईहाँ शिक्षा कय प्रसार बहुतय हुई गवा रहय, ई वेरिया मईहाँ ‘वैद्य’ जी कय जीवन शैली मईहाँ कछु परिवर्तन होयक शुरु हुईगा । वैद्य जी शुरुआतय से राणा शासन कय विरोधी रहय अऊर काँग्रेस के एक समर्पित सदस्य रहय । ऊ अपने राजनीतिक कार्यकाल मईहाँ मातृका प्रसाद कोईराला, बीपी कोईराला अऊर भारत के तमाम राजनेतन से मिलतय रहय । वैद्य जी ई समय मईहाँ कतनव बार राणा सरकारका राजनीतिक सुधार करयक खातिर सुझाव पत्र भेजिन, मूला राणा शासक आपन प्रतिकृया नाय दिहिस । भारत मईहाँ ऊ गुजराज मईहाँ पहुँच कय महात्मा गांधी के सेवा ग्राम मईहाँ भी पहँुच कय गांधी जी से भेट किहिन रहय । हुँवा ऊ गोबिन्द बल्लभ पंत अऊर के.एम. मुन्शी जईसेन लोगन से भेट किहिन रहय अऊर नेपाल मईहाँ राणा शासक मधेशिन समुदाय के उप्पर जऊन अन्याय, अत्याचार, शोषण करत हय, ऊहँमा ध्यान आकर्षण कराईन रहय । ई विषय मईहाँ एक बुलेटिन भी निकालि कय उन भारतीय नेतन का बताईन रहय ई मा भारतीय नेता लोग उनका सहयोग करेक कहिन रहय । भारत मईहाँ स्वतन्त्रता आन्दोलन सफल हुई गवा रहय । भारत स्वतन्त्र होयक वादिम डा. राम मनोहर लोहिया जऊन की समाजवादी विचार धारा के नेता रहये, उन्ही कय प्रेरणा से नेपाल मईहाँ बिपि कोईराला राष्ट्रिय काँग्रेस पार्टी कय स्थापना किहिन रहय । जिके उद्घाटन कलकत्ता मईहाँ २८ जनवरी सन् १९४७ मईहाँ भवा रहय । ई उद्घाटन समारोह मईहाँ प० योगेश्वर प्रसाद मिश्र ‘वैद्य’ जी भाग लेय गए रहय । विराटनगर मईहाँ भवा मजदुर आन्दोलन कय खातिर कृष्ण प्रसाद उपाध्याय, नेपालगंज आए के वैद्य जी से सहयोग मांगिन रहय अऊर उपाध्याय जी का सहयोग करय कय काम किहिन रहय । वैद्य जी अक्सर मिटि· घरवारी टोल मईहाँ वासुदेव शर्मा कय घर मईहाँ करत रहय अऊर कार्यालय रुपईडीहा मईहाँ बनवाईन । वैद्य जी राणा शासन कय नीति परिवर्तन करय के खातिर सत्याग्रह भी किहिन, ऊ मईहाँ श्री ३ पदम शम्शेर राणा कय आश्वासन मिलय कय बाद आपन सत्याग्रह रोकिन रहय ।


राष्ट्रिय काँग्रेस के स्थापना कय बाद मईहाँ वैद्य जी मातृका प्रसाद कोईराला का नेपालगंज बुलाईन रहय मूला उन कय भाषण मईहाँ प्रतिबन्ध लगाए दिहा गवा, वादि मईहाँ ऊ कार्यक्रम भारतीय बजार रुपईडीहा मईहाँ आयोजित किहा गवा । ऊ मा कोईराला जी के वादिम प० योगेश्वरी प्रसाद मिश्र जनता का सम्बोधित किहिन रहय । दूसर काँग्रेस कय अधिवेशन काशी (बनारस) मईहाँ भवा । हियाँ मातृका प्रसाद कोईराला आपन त्याग पत्र दिहिन अऊर सभापति पदमा डिल्ली रमण रेग्मी चुने गए । ई अधिवेशन मईहाँ भी वैद्य जी पहुँचे रहे । ई समिति मईहाँ वामदेव शर्मा भी रहे । तिसर अधिवेशन फिर कलकत्ता मईहाँ भवा ऊ मा सभापति टंक प्रसाद शर्मा चूने गए । बी.पी. कोईराला कय जेल से छुटि के आएक वाद मईहाँ वैद्य जी अऊर रमण रेग्मी कय बीच मईहाँ सैद्धान्तिक मतभेद आई गवा, वैद्य जी रमण रेग्मी, वामदेव शर्मा अऊर पुष्प लाल जी कय साथेम बढ्नी अऊर सोहरतगढ जईस ठाँव मईहाँ पहुँचे रहंय अऊर तमाम ठऊवा मईहाँ आयोजित भवा आमसभा मईहाँ भाषण दिहिन रहय । वादिम रमण रेग्मी जी काशी (बनारस) चले गए । वैद्य जी कय तमामन काम कय खातिर (राणा शासक) कछु नरम पडे वैद्य जी कय प्रभाव ऊन कय उप्पर बहुतय पडि गवा रहय । ई कय बाद मईहाँ राणा शासन कुछ सुधार करै काम किहिस । ऊ का ‘वैधानिक कानुन’ के नाम से जाना जात हय । यही वेरिया मईहाँ वैद्य जी अऊर काँग्रेस मा मतभेद पईदा हुई गवा अऊर ऊ काँग्रेस पार्टी का त्याग दिहिन । ई के बाद मईहाँ उन के सोच कम्यूनिष्ट जईस हुई गवा, ई मारे बाँके मईहाँ पहिल कम्यूनिष्ट सोच कय मनई ‘वैद्य’ जी का माना जात हय । गांधी जी से मिलय जरुर गए मूला ऊ नेता जी सुभाष चन्द्र से बहुतय प्रभावित रहंय । काँग्रेस पार्टी के कछु मूल संस्थापक लोग आपन पार्टी कय खातिर चन्दा मांगए कलकत्ता पहुँचे रहय हुँवा महावीर शम्शेर, सुवर्ण शम्शेर अऊर हिरण्य शम्शेर जईस लोग ऊन से मिले रहय । ऊ लोग एक नवाँ (नेपाल डेमोक्रेटिभ) काँग्रेस कय सूत्रपात किहिन, ई कय प्रमुख कार्यकर्ता सूर्य बहादुर उपाध्याय अऊर महेन्द्र विक्रम शाह रहे । विशेश्वर गुट ई मा मईहाँ हिलि गवा । यहिम गणेशमान सिंह भी आए गए । ‘वैधानिक कानुन’ कय नाम से खोलिन मूला ई का स्वीकृति नाय मिला । वैद्य जी ई सिलसिला मईहाँ श्री ३ प्रधानमंत्री मोहन शम्शेर से भी बात किहिन रहय । फिर ऊ (अडीटर) पद मईहाँ काम करय के प्रस्ताव दिहा गवा जिमा ऊ सभय के सल्लाह मईहाँ स्वीकार कर लिहिन । वैद्य जी कय नगर अभिनन्दन किहा गवा मूला कुछ दिन कय बाद मईहाँ प्रधानमन्त्री मातृका प्रसाद कोईराला अऊर गृहमन्त्री बीपी से ई का निरस्त कर दिहा गवा ।


यही वेरिया मईहाँ ऊ आपन राजनीतिक जीवन से सन्यास लय लिहिन अऊर नाकाटोला मईहाँ एक प्रिन्टि· प्रेस खोलिन ऊ मा आपन साप्ताहिक पत्रिका मातृभूमि हिन्दी मईहाँ छाप कय वांटैय लागे । ई पत्रिका साहित्यिक कम अऊर राजनीतिक जादा रहय । ई पत्रिका भारतीय पत्रिका के आगे टिक नाय पाईस ई मारे कुछ दिनय मईहाँ बन्द हुई गवा ।
वैद्य जी कय परिवार मईहाँ उन से जादा अऊर काबिल कोई नाय भवा उन कय लडका भए प्रमानन्द मिश्रा, ऊ मातृभूमि साप्ताहिक निकालेक प्रयास नाय किहिन ई जरुर हय कि ऊ अपनय सम्पादन मईहाँ मातृभूमि साप्ताहिक पत्रिका दर्ता कराय कय बहुत दिन तक निकालिन । मूला वैद्य जी कय मातृभूमि जईस चर्चा ई पत्रिका का नाय मिल पाईस । ई मेर रहय बाँके जिला के पहिल पत्रकार प० योगेश्वर प्रसाद मिश्र ‘वैद्य’ जी ऊ एक समाजसेवी, समाज सुधारक, शिक्षा प्रेमी, कुशल राजनीतिक, प्रशासक अऊर सफल पत्रकार कय रुप मईहाँ आपन नाम दर्ज कराएक वि.सं. २०२९ साल चईत १२ गते कय दिन ई दुनियाँ से परलोक चले गए ।


वैद्य जी काँग्रेस से जुडे रहे । मूला ऊ काँग्रेस कय परित्याग करय के कारण काँग्रेस उनका हमेशा पाछे धकेल्तै रहा, देश मईहाँ सबसे जादा शासन काँग्रेस किहिस । ई समय मईहाँ अऊर दोसरय पत्रकार जऊन कि उन से बहुतय जुनियर रहय, उन लोगन का काँग्रेस तमाम सम्मान, पदक, दिलाईस मूला वैद्य जी का अईसन कऊनव पद अऊर सम्मान नाय मिला । अब कुछ दिन से हियाँ कय पत्रकार वैद्य जी का बाँके जिला कय पहिल पत्रकार घोषणा करावेक मांग उठावय लागे हँय । ई मारे आज ४७ साल कय बाद मईहाँ वैद्य जी कय नाम फिर चर्चा मा आवय लाग हय । ई बात पर सब राजी हय कि वैद्य जी बाँके जिला कय पहिल पत्रकार रहँय । मूला काँग्रेस के मानसिकता बालय लोग ई बात का हमेशा अनदेखा करतय आए हंय । पहाडी समुदाय कय पत्रकार होय वा मधेशी अऊर अवधी भाषी पत्रकार होए काँग्रेसी सोंच राखय वाले अईस पत्रकार लोग ई बारे मईहाँ अनुसन्धान करिके वादि मईहाँ वैद्य जी कय उचित सम्मान दिलावा जाई कहिके कन्नी काट्त आए हंय । मूला अब वैद्य जी कय व्यक्तित्व कईहाँ कोई भी दाब नाय सकत हय । उनका बाँके जिला कय पहिल पत्रकार के रुप मईहाँ घोषणा जरुरी करैक अब समय आईगा हय । दशकन पहिले बाँके जिला के अर्जुन शक्ति केन्द्र जईस संस्था वैद्य जी का पहिल पत्रकार बताय कय एक कार्यक्रम मईहाँ उन कय सम्मान अऊर कदर किहिस रहय ।


ई मेर कय आज कय समय का लिहाँ जाय तो प० योगेश्वर प्रसाद मिश्र ‘वैद्य’ जी कय लरिका का लिहाँ जाय तो ऊ खुदय मातृभूमि अपने नामे दर्ता कराय कय काफी समय तक चलाईन हय । मूला आज उन कय अवस्था देखय वाला कउनौ संघ संस्था नाय देखात हय । हियां एक बात अऊर बतावयक चाहित हन कि नेपाल पत्रकार महासंघ कय पूर्व अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह राठौर कय पाला मईहाँ प्रमानन्द मिश्र, लियाकत अली जईसेन वरिष्ठ पत्रकार लोग पार्षद कय भूमिका निर्वाह कई चुके हयं । उन्हीन कय पाला मईहाँ काठमाण्डु मईहाँ अगुवाई करिकय नेपाल पत्रकार महासंघ कय अधिवेशन मईहाँ सहभागिता जनाय चुके हय, मूला आज ऊ अस्वास्थ्य अवस्थामा मईहाँ घर कय कमरा म पडे रहत हय, नेपाल पत्रकार महासंघ लगायत संस्था उनका देखय तक नाय जात हय । ई मेर भेदभाव आखिर काहें होत हय ? ई ना होयक चाही ।
(ई लेख नेपालगंज कय अवधी भाषा के वरिष्ठ साहित्यकार सच्चिदानन्द चौबे अऊर स्व. वैद्य जी कय परिवारजन कय जानकारी अऊर सहयोग से संकलन किहा गवा हय ।)– एक चम्मच शहद, एक चम्मच गिलिसरिन अऊर दुई चम्मच कागती कय रस लैके ई तिनव चिज कईहाँ एक कटुरिय मईहाँ एक साथेन मिलाईलेव । ई पैक आप कय खाल त्वचा कय रुपरंग मईहाँ निखार आवय लागी साथेन प्राकृतिक रुप मईहाँ बहुतय अच्छा काम करत हय । (स्रोतः समाज जागरण साप्ताहिक)

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