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महाशिव रात्रीय कय महिमा


२०७७ फागुन २७ गते
शिवरात्री के ब्रत कय ई जानयक जरुरी हय । फागुन महिना केर कृष्ण पक्ष के त्रियोदशी कय दिन महाशिव केर त्योहार होत हय । वईसे तौ हर एक महिना के कृष्ण पक्ष कय त्रियोदशी (तेरस) का मास शिवरात्री माना जात हय । ई महाशिव रात्री केर ब्रत तपस्या, संयम, साधना का बढावय वाला पर्व होय । सादगी सरलता से शिव स्वरुप मौन रहय वाला दिन होय । गांजा, भांग खायके वौराय वाला दिन न होय । ऊ नमः शिवाय वा राम नाम कय अमृत ई के मन औं आत्मा का पवित्र करय वाला दिन होय ।


शिवरात्रि कय आवास (ब्रत) अनन्त दुर्लभ हय । अगर ब्रत के साथेन रात्रि जागरण करय तौ सोना मा सुगन्ध जस होत हय । ई बात स्कंन्द पुराण के ब्रहमोत्तर खण्ड मईहाँ आवा हय । ब्रहमा वशिष्ठ अऊर देउता सब ई ब्रत कय प्रशंसा किहिन हय । जागरण कय अर्थ हय जागयक ई मानव चोला विषय अऊर विकास मईहाँ बरवाद न होय अपने जीवन कय परम् उद्देश्य युक्ती पद के खातिर विवेक औ सद्बृद्धि से अगर आय लागे हय । तौ वही जागरण होय ।
आज के दिन भगवान साम्ब सदा शिव का तीन पाता एक्कै मईहाँ जुटा बेल पाती चढावा जात हय । वह कय वडा महत्व हय । हमरे सब के मन मईहाँ जऊन सात्वविक, राजस, तामस जऊन प्रवृति हय ऊ सब भगवान साम्ब सदाशिव का अर्पण होय जाय बेल के पाती के महक से शरीर कय सब बात, पित, कफ सान्त रहय ।


शिव रात्रि कय दिन भगवान शिव कय पंचामृत (दूध, दही, घिउ, सहत, चीनी), से बना पंचामृत से पूजा होत हय । वह कय माने जऊन पंच महाभूत (अग्नी, जल, वायू, आकाश, पृथ्वी) से हमार शरीर बना हय ऊ सब तत्व हमरे शरीर मईहाँ अवस्थित रहय औ शरीर स्वस्थ प्रशन्न औ शिव भक्ती से परिपूर्ण रहय । आप सब लोग जब मंदिर, शिवाला मईहाँ जात हौ, देखत शिव जी कय बाहन नन्दी बैल हय, पार्वती जी कय बाहन वाघ हय, गणेश जी कय बाहन मूस हय औ कार्तिके महराज कय बाहन मजोर हय । शंकर जी कय गटईमा साप फेटारा हय । देखा जाय तौ ई सब बाहन औ गहना एक आपस मईहाँ वैर भाव राखय वाले होय लेकिन भगवान भोलेनाथ कय महिमा होय सब मित्र भाव से हय । अईसय भगवान कय काम समझिके (बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय) वाला काम जिन्दगी मुक्ती पावै वाला साधन यही होय ।


भगवान शिव के तीन आँखी कय । तिसर आँखी से काम का जरायके ई सन्देश दिहिन कय कि हे मानुष तुमरे भित्तर भी शिव तत्व हय । तुम विवेक रुप कय तिसरी आँखी खोल काम, क्रोध, लोभ, अहंकार का जरायके शिव समीप होय जाव ।
समुद्र मंथन कय समय निकरा हलाहल विष भगवान शिव पी लिहिन न पेट मा जय गए न उल्टी किहिन कंठ
(गटईमा) घर के नील कण्ठ के नाम पाईन वईसय हे मानव ई सन्देश भगवान देत हय कि तुम हुँ अपने परिवार केर शिव होव, नीक अच्छा सामान सब का देव जब बिध्न बाधा आवय तौ हलाहल बिष समझ के अपने गटईमा धारण करौ घर परिवार पर वह कय असर न होय देव नील कण्ठ भगवान के आनन्द मईहाँ रहौ ।


अगर आप पत्नी हौ तौ भवानी जगदम्बा का याद करव सोचौं भगवान शिव के समाधी मईहाँ उई कतना सहयोग करत रही पति केर आत्म शिव के यात्रा मईहाँ सहयोग कइके पार्वती जस जीवन वितावयक प्रयास करौ । आप कय गृहस्थ जीवन धन्य होई जाई
ई महाशिव (बाँकी ५ पेज मईहाँ) रात्रि हम सब का ई सन्देश देत हय कि जनता तुमरे जीवन मईहाँ निष्काम भावना, दोसरे के दुःख से दुःखी, होय कय भावना दुसरे के दोष न देखयक भावना बढतय जाई वतनय आप सब शिव तत्व मईहाँ समावेश होतय जईहव, दुःख, सुख मईहाँ वतनय सम भाव वनतय जाई आपकय मन आनन्द, प्यारउ, स्नेह, साहस से भरतय जाई आप आनन्द मय रहि हौं ।
‘चाउर चार धतूर कय फूल बेल पत्र औ पानी चढावै ।
गाल वजाय के बोले बम बम महा जोर धुनि जोर लगावै ।
ताहि महा फल देय सदा शिव सहजै मुक्ती भुक्ती सो पावै ।
वड भागी नर नार सोई जो साम्ब सदा शिव को नित ध्वावै ।
ऊ नमः शिवायः ।
(स्रोतः समाज जागरण साप्ताहिक)

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