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नेपालगंज कय ऐतिहासिक बागेश्वरी मन्दिरमा शिव अऊर शक्ति


२०७७ फागुन २७ गते
भगवान शिव अऊर पार्वती जी कय अदभूत युगल लीला कय बखान लाखन, करोडन वर्षन से होत आवा हय ।
अपने पत्नी केरे सती हुई के मरेक वाद मईहाँ भगवान शिव मारे दुःख मा डुबि गए, इके वादि मईहाँ ऊ आपन जीवन लीला से हटि के घोर समाधी अवस्था मईहाँ चले गए । जब पुरय ब्रहमाण्ड केर अस्तित्व खतरा मईहाँ परि गवा, ऊ समाधी से जागि गए अऊर अपने प्रवाह नकरि के जगत कल्याण कय खातिर कालकूट हलाहल बिष अपने नटर्ई मईहाँ रोकी लिहिन अऊर ऊ हियाँ नीलकण्ठ बनि गए । सभन कय कल्याण करय वाले भगवान शिव खुदय दुःखी रहि गए अऊर सभन का सुख देतय रहें । दुष्ट तारकासुर अपने प्रभाव चारौ तरफ से बढाउतय हुए आगे बढय लाग फिरिका देव लोग अऊर मानव लोग शिव से प्रार्थना करय लागे अऊर उन से विनती करय लागे कि भगवान हम लोगन का तारकासुर राक्षस से रक्षा करओ अऊर ई सृष्टि का बचाय लेओ ईमा शिव जी के वरदान कय अनुसार नवजात शिशु शक्ति से ऊ के विनास हुई सकत रहय । ई उद्देश्य केरे खातिर माता सती हिमालय राज के कन्या ऊमा पावती के रुपमा जनम लिहिन । ध्यान मा लीन शिव जी का खुश करय खातिर माता पार्वती जी कठोर तपस्या करय जुटि गई ।
उन कय जब शरीर कय हाड के ढांचा सिरिफ बचा तब जीवनका बचावय अऊर सिर्जन प्रक्रिया केरे जननि पार्वती जी के सहायता कय खातिर आए कामदेव दम्पत्ति ई मेर अलग होयक रहे म असहनीय काम हुईगा ।


कामदेव दम्पत्ति तमामन हिसाब किताब अऊर प्रयास किहिन मूला भगवान शिव के ऊप्पर ई कय कउनओ प्रभाव नाय परा । ई मा भगवान शिव बहुतय गुस्साय के आपन तिसर आँखी खोलि के कामदेव का भष्म कर देत हंय । हुँवा सिरिफ एक नानमून आगि कय बिन्दु मात्र देखाई परत हय परम माया के ई नानमून आगि के बिन्दु का नारी अऊर पुरुष केरे शिव अऊर शक्ति जईस बन सकत रहाय । ई समय मईहाँ दयालु भगवान शिव दया युक्त बन जात हय । ई मेर के वादि मईहाँ विश्व नारी अऊर विश्व पुरुष एक दोसरे के नजदीक आवय लागत हंय । उन लोगन कय पुनर्मिलन होत हय । ई मारे कि पाप अऊर पापिन कय नाश हुई जाय । शिव अऊर पार्वती विकास धारा कय एक प्रतिक रुप होय । ई घटना मईहाँ शिव पुरय ब्रहम्माड कय जनक कय रुप मईहाँ परकट होत हंय ।
आशुतोष शंकर अत्ता उदार अऊर दयालु हंय कि असुर लोग जबहीं कउनौ वरदान मांगिन नसोंच समझी कय उनका वरदान दई दिहिन । ई मेर से असुर लोग ताकतवर होतय गए । ऊ लोग आपन पासविक आसुरी शक्ति कय बलबुतय मईहा सृष्टि पर अत्याचार करय लागें तब देवता लोग अपने सुरक्षा कय खातिर अमरत्व पावेक कोशिस मा लागि गए । देउता अऊर असुर लोग मिलिकय समुन्द्र मन्थन करयक काम किहिन ऊ कार्य समुन्द्र मन्थन विकास के सनातन प्रक्रिया होय । जईसन, जईसन समुन्द्र मन्थन काम आगे बढतय गवा अंधियार कय अम्मा अराजकता से ईष्र्या पाप अऊर मृत्यु कय सारा बिष का समुन्द्र मईहाँ फेंक दिहिन । ई बिष से युक्त होत तौ सृष्टि कय विनास होई जात । ई मा शिव सृष्टि का बचावेक खातिर आगे आए अऊर पूरा कालकूट बिष पि गए । ऊ का अपनय नटई मईहाँ रोकि लिहिन । ई कारन कि सृष्टि के विकास योजना मईहाँ सत्यता कय जीत होई जाय । थोर प्रार्थना से खुशी होय वाले अऊर वरदान देय वाले परम निरंकारी भगवान शंकरय अन्तिम मईहाँ सृष्टि के सबसे बडे संरक्षक के रुप मईहाँ स्थापित होई जात हंय । अऊर माता पार्वती के साथ मईहाँ बिहाव करिके सृष्टि का विनास होय से बचावत हंय । पार्वती के साथ मईहाँ ऊ ई मारे बिहाव किहिन कि उन के स्कन्द अवतार के जनम हुई जाय अऊर ऊ स्कन्द तारकासुर जईसेन के वद्य कारिके पुरय विश्व कईहाँ आतंकवाद से मुक्त कराय देंय ।


शिव खुदय त्रिपुरा राक्षस के वद्य किहिन अऊर जब संसार का शुद्ध करयेक जरुरी भवा ऊ समय मईहाँ ऊ राजा भागीरथ कय प्रार्थना मईहाँ अपने जटा खोलि कय माता गंगा का अपने जटा मईहाँ बइठाय के ठाँव दई दिहिन र भगवान शिव माता गंगाको आपन जटा मईहाँ ठाँव न दिहिन । ई नहोईते तौ पुरय पुथ्वी गंगा माता कय तेज वेग से वहि जात (डुबि जात), शिव नग्न दिम्बर तपस्वी, यम नियम, त्याग अऊर तपस्या के स्वामी होंय । कबहुँ कबहुँ ऊ अघोरी कय रुप मईहाँ देखाई देत हंय । शम्शान के ऊ स्वामी होंय । राखी शरीर मईहाँ छिरिक कय ऊ अऊर सुन्दर वन जात हंय । ऊन के लम्बा–लम्बा जटा हरदम बंधय राहत हय । मूला जईसेन गंगा माता का अपने जटा मईहाँ समेटय लागत हंय ऊ जटा खुल जात हय । अईसनय एकाध समय मईहाँ सृष्टि के रक्षा कय खातिर ऊ आपन जटा खोलिन रहंय । शिव बहुतय बडे नचनिया हंय । ई मारे ऊनका नटराज भी कहा गवा हय । शिव ताण्डव नृत्य बहुतय मसहुर हय । ऊन कय नाचि सृष्टि कय सृजन कय खातिर होतय आवा हय । कबहुँ कबहुँ संहार कय खातिर ऊ आई जात हंय उन कय सब से मनपसन्द हतियार होय त्रिशुल, उन कय एक हात मईहाँ त्रिशुल अऊर प्रलयंकारी डमरु रहत हय अऊर दोसरे हात मईहाँ ऊ निर्दोष शान्त भोलेनाथ हरिण कय छाल के झोला लिए हुए देखाई परत हंय । कैयन समय मईहाँ धनुष से भी अत्याचारिन कय ऊ नास किहिन रहय । ऊन कय धनुष के नाम रहय पिनाक । वादिम यही धनुष ऊ शिरध्वज राजा जनक कईहाँ दिहिन रहय । राजा जनक वादिम पिनाक धनुष का अपने पूजा कय कमरा मईहा राखि के पुजा करत रहंय ।
भगवान राम यही धनुष केरि खण्डन करिकय माता सीता के साथ मईहाँ बिहाव किहिन रहय । पिनाक धनुष केरि खण्डन होए से भगवान परसुराम बहुतय रिसियाय गए रहय अऊर आपन गुरु भगवान शिव के अपमान केरि बदला लेयकय खातिर एक बार फिर संसार का क्षेत्रीय बिहिन बनावेक मन बनाय लिहिन रहय । वादि मर्यहाँ ऊ जानि पाईन कि यही भगवान राम भगवान बिष्णु के अवतार होय फिर ऊ राम से माफी मांग लिहिन रहय । शिव केरि तिसर हात वरदान केरि प्रतिक जईस उप्पर उठा रहत हय । अऊर चौथा हात मानव जाति कय संरक्षण, सम्बद्र्धन करयक आश्वासन देत सामने से देखाई परत हंय ।


शिव के सनातन साथिन शक्ति ई सृष्टि के आध सिर्जन शक्ति अऊर शिव से कम शक्तिशाली नाय हीं । ऊन कय तपस्या कय कारनय से सृष्टि केरि समृद्धि प्राप्त होत हय । गृहस्थिक आनन्द अऊर समृद्धि, केरि ऊ अधिष्ठात्री देवी होय । ऊ आदर्श पत्नी अऊर सबसे अच्छी प्रेमिका भि होय । सुखी परिवार के ऊ संरक्षिका भी होय । शिव के जईसेनय शक्ति के भी तमाम रुप हंय । माता पार्वती मा उनके नारी के पुरय श्रृंगार कला से अपने का सुसज्जित होत पावा गवा हय । दुर्गा अऊर महिषासुर मर्दिनी कय रुप मईहाँ मयंकर खतरनाक शस्त्रास्त्र से सुसज्जित हुई के ऊ रणक्षेत्र मईहाँ आय के शत्रुअन से भयंकर युद्ध करत हिं । युद्ध अऊर विजय के प्रतिक के देवी के रुप मईहाँ भगवान शिव के जईसनय ऊ बाघ के चर्म अऊर नरमुण्ड माला पहिर लेत हिं ।
हरिवेश पुराण उन का अन्धकार प्रकाश दुनव बतावत हय । मृत्यु केरि देउता अऊर यम केरि बडी बहिन होयक वजह से ऊ काला रंग केरि कपडा बहुतय रुचावत हिं । ऊन कय रुप कबहुँ खुबय भयंकर होई जात हय, कबहुँ ऊन के रुप प्रेम केरि वर्षा करत हय । ऊ साक्षात केरि मृत्यु भी होंई जात हय जऊन कि गरम खुन अऊर मांस कय भक्षण करय मईहाँ आनन्द लेति हंय । बाहय मा दुसर तरफ उन मा सौन्दर्यता अऊर पत्नी कय गृहस्थ सुख भी हय । ऋग्वेद काल से माता भगवती मा देव लोगन केर महारानी अऊर आपन स्वामीन का अजय केरि रुप मईहाँ स्थापित करतय आई हिं । ऋग्वेद मईहाँ देवी आपन स्वरुप कय जईस शब्द मईहाँ बोलिन हंय । हम महारानी होई, परम मनीषा होई, रुद्र कय धनुष का तानित हंय, जो भक्ति से घृणा करय वाले हंय, हम उन कय संहार करित हय । विश्व के ऊंच शिखर मा परमपिता का हम अवतरित किहा करित हय । हमार घर पानीमा हय, हमार घर महासागर मईहाँ हंय, हुवंय से हाथ पुरय संसारमा रहय वाले प्राणी अऊर सृष्टि केरी विस्तार करा करित हय अऊर ऊ के पार मईहाँ स्वर्ग का अपने शिर से छुवा करित हय । हम पुरय सृष्टि केरि सन्तान का आपन धुरी मईहाँ रखिकय नियन्त्रित रखित हय ।
ई विस्तृत पृथ्वी अऊर स्वर्ग से भी बहुतय दूर, अपने महिमा से मार्कण्डय पुराण मा देवी महत्म्य कहत हय कि शिव केरि शक्ति कय व्याख्या, हमरे मुँह मा हय ईमा शक्ति उनी कय कपाल मईहाँ व्याप्त अऊर प्रवाहित हय, उनी कय भूजा मईहाँ बिष्णु के बल, वक्ष मण्डल मईहाँ चन्दमा, कटि प्रदेश मईहाँ इन्द्र, गोड अऊर जंघा मईहाँ वरुण केरि वेग, गोड केरि तरुवा मईहाँ ब्रम्हा, गोड केरि अंगुठन मईहाँ आग्नेय सूर्य केर तेज हय । आदिकाल देवी शिव शक्ति केर शक्ति केरे महानतम् वर्णन करतय हुए कहाँ गवा है दुई शक्ति हय शिव अऊर शक्ति । जऊन कि एक नारी हय दोसर नर हय ई पुरय जगत मईहाँ पुज्य हय । शिव का निराकर कहा गवा हय । हुवंय जब शंकर के जिकिर होत हय उन के अऊर उनय पुरय परिवार केरि वर्णन भी आए जात हय ।


भगवान शंकर कय परिवार मईहाँ पत्नी पार्वती, लरिका गणेश अऊर कुमार हंय । ई परिवारय मईहाँ शुभ–लाभ, दृष्टि अऊर पुष्टि, आनन्द अऊर प्रमोद, सन्तोषी जईसन परिवार सदस्य हंय । इन लोगन केरि रहय वाला ठांव बतावा गवा हय कैलाश पर्वत । कैलाश पर्वत मानसरोवर मईहाँ हंय । हिंया आजतक कऊनओ मनई जाय नाय पाईन हंय । कैलाश पर्वत मईहाँ मनईन से बनावा गवा पिरामिड जईस बतावा गवा हय । भगवान शिव केर अऊरौ कैयौ ठांव हय । ऊ अमरनाथ गुफा मईहाँ रहंय पहुँच जात हंय । कबहुँ आपन त्रिशुल पर बसा काशी नगरी म पहुँच जात हय ।
बद्रीनाथ, केदारनाथ ईन कय मनपसन्द ठांव होय । कबहुँ कबहुँ ऊ मक्केश्वर महादेव भी अपनेक कहावत नाय चुकत हय । अईसनय मईहाँ आदि शक्ति भी तमामन ठांव मा हंय । माता पार्वती हिमाल केरे बिटिया होंय । ई मारे हमरे देश कय ताप्लेजु· मईहा पाथीभरा, खोटा· कय हलेसी, सप्तरी मईहाँ माँ छिन्नमस्ता, नुवाकोटमा माँ जालपा देवी, कालिकोट मईहाँ माँ बडिमालिका, डोल्पा मईहाँ माँ त्रिपुरा सुन्दरी, बाग्लु· मईहाँ माँ कालिका, पर्सा जिला के वीरगंज कय मध्य बजार मईहाँ माँ गढवा माई, सु.प. केरि ९ भगवती मईसे डँडेलधुरा केरि अमरगढी न.पा. मईहाँ रहा हुवाँ माँ उग्रतारा, नवलपरासी गैडाकोट बजार से उत्तर कय डाडा मईहाँ माँ मौला कालिका, गोरखा केरि गोरखाली मन्दिरमा पोखरा मईहाँ माँ विन्ध्यवासिनी, पर्सा जिला मईहाँ माँ पाल्पा भगवती, सुर्खेत मईहाँ माँ देउती बज्यै, बारा जिला कय वरियारपुर मईहाँ गढीमाई, गोरखा मईहाँ माँ मनकामना, काभ्रेपलाञ्चोक मईहाँ माँ पलाञ्चोक भगवती, काठमाण्डौ मईहाँ माँ दक्षिण काली, पर्सा जिला कय ठोरी मईहाँ माँ वन शक्ति माई, ललितपुर कय लगनखेल अऊर जावलाखेल से जाय वाला ४ वाराही जईसे बज्रवाही, कालिञ्चोक भगवती, काभ्रे केरि पलाञ्चोक भगवती काठमाण्डु केरि माँ शोभा भगवती अऊर तमामन भगवती समेत ठांउ मईहाँ छोटी बडी बहिन शक्ति कय एक रुपय होय ।
साखु मईहाँ माँ चण्डेश्वरी, काठमाण्डु केरि माँ गुहेश्वरी, अईसनय माँ कंकालिनी, राजदेवी सभय शक्ति केरि रुप होय । हमरे नेपालगंज नगरीया मईहाँ शिव अऊर शक्ति केर मिलन होएक एकै ठांव हय ऊ होय ऐतिहासिक बागेश्वरी मन्दिर । ई मा माँ जब वाघ पर सवारी करत देखाई देत हिं, उनका माँ बाघेश्वरी कहा जात हय । जब उन कय हिंया जीभ गिरा उनका माँ वाक्यश्वरी कहिकय बुलावा गवा । बागेश्वरी मन्दिर के पच्छु तरफ मईहाँ माता कय स्थान हय । हिंया माता केर ठाँव हय अईसेनय भगवान शिव पुर्वय तरफ त्रिशुल डमरु लिहे हुए देखाई परत हंय अऊर ठांव मईहाँ भगवान शिव कय कतनौ रुप देखाई परत हंय मूला हिंया शिव मोछ रखे हुए देखाई परत हंय ।
ईमारे नेपालगंज नगरी भी शिव अऊर शक्ति केर महानतम ठांव ई होय । हिंया आज महाशिवरात्री कय दिन मईहाँ वैदिक सनातन धर्मावलम्बी लोग राप्ती से जल लायक हिंया ऊ लोग जल भगवान शिव पर चढावत आए हंय । महाशिवरात्री परव के अवसर मईहाँ आपन सभय पाठक वर्गन कईहाँ बहुतय बहुतय बधाई अऊर शुभ कामना देतय हुए हिंया आपन कलम का विराम दित हंय । अब कऊनौ अलग अवसर मईहाँ फिर बात करिवय सभन भईयन का जय श्रीराम….
(स्रोतः समाज जागरण साप्ताहिक)

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