Friday, November 22सत्यम खबर
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चिन्तन कइहाँ छोडि के सेवा कथा कय रसपान

–पंं. बिजय प्रकाश शर्मा (शास्त्री)
२०७७ माघ १८
परमात्मा गर्भ मइहाँ आवय से पहिलेन हरेक ब्यक्ति कय आयू कत्ता होई औ कतने वर्ष तक जीवित रही ऊ कय कर्म कस औ कतना ऐश्वर्य कय मालिक होई कतना बिद्या पाई, ई सारा बिधान गर्भ मइहाँ आवै से पहिलेन निर्धारित होई जात हय । हरेक ईन्सान कइहाँ थोरा थोरा कहत रहत चाही हे प्रभु हम आप कय होई अउर आप हमरे हव, जब हम अपने आप का परमात्मा कइहाँ सौंप देहव तौ परममात्मा हम का अपने कनिया मइहाँ बैठाय लेहैं, भगवान कहत हय हम भक्त के अधीन मइहाँ होई कय कौनौ कार्य करित हय, जब भगवान बिष्णु नरसिंह कय रुप धारण कै कय हिरण्याकश्यप कय बध कई दिहिन उकेबाद मइहाँ प्रहलाद कइहाँ कनियामा बैठाय कहय लागे कि हे पुत्र हमका क्षमा कय देव हमका आवै मइहाँ देर होइ गा ।


भगवान कृष्ण गीता कय १८ वां अध्याय मइहाँ ६६ वां श्लोक कहत हय जीव मात्र हमरे शरण मइहाँ आय जाय अउर सब धर्म कइहाँ छोडिके ऊ जीव कइहाँ मोक्ष कय देवै, अउर सज्जन आप सब कोई ध्यान मइहाँ रक्खा जाय कि गीता हाईकोर्ट या ब्रान्च कोर्ट कय फैसला ना होय गीता सुप्रीम कोर्ट कय फैसला होय, गीता भागवान श्री कृष्ण के मुह से निकरा हय भगवान अपने श्री मुह से गीता जी कय वाचन किहिन हय गीता अयर श्री मद्भागवत मइहाँ श्री कृष्ण जी कय वर्णन मिलत हय अउर गीता एवं भागवत कउ अर्थ एक हय कि भागवत मइहाँ गोर्कण श्री अपने पूज्य पिता श्री आत्म देव जी कय यही शब्द कय उपदेश देत हयंं ।
पिता जी आप सत्य धर्म कयंं भजन करौ अउर लोक धर्म कइहाँं छोड देव अउर साधु पुरुष के शरण लै लेव अउर काम तृष्णा का मन से दूर फेंक के दूसरे के गुण अउर दोष के चिन्तन कइहाँ छोडि के सेवा कथा कय रसपान के प्रति समय दिया जाय, अउर श्री मद्भागवत अउर रमायण दुनौं मइहाँ ज्ञान कय गंगा बहत है, जे चाहै ऊ अपने आप कइहाँ धन्य बनाय सकत हय । रमायण के तरफ अगर आप घुमिके देखा जाय तौ भाई भाई कय प्यार देखा जाय, जब भगवान श्री राम कय चौदाह वर्ष बनबास कय पूरा होई गा ऊ समय श्री राम के मन मइहाँ अस बिचार आवा कि कहूू भरत भाई मन मइहाँ अस न होय कि आज तौ श्री राम बनबास से वापस आवत हय ।
अउर अयोध्या कय राजा बनि जई हय अउर हम राजगद्दी से हटि जइबै, अगर अस हमरे छोट भाई भरत के मन मइहाँ होइगा तौ श्रीराम सदा सदा के खातिर बन मइहाँ रहि हय, ई बात कय हकिकत पता लगावैक खातिर श्रीराम जी हनुमान जी कइहाँ अयोध्या पठइन कि जाव हनुमान, जब हनुमान जी जायके अयोध्या पहुँचे तौ भरत जी अयोध्या मइहाँ नाय रहें चरत जी अयोध्या से जान लयक चाही १४ किलोमीटर दूर नन्दी ग्राम मइहाँ अपन चिता लगायके उप्पर पहुडे रहें, अउर अपने भाई शत्रुहन से कहत रहे कि भैइया हम आप कइहाँ आदेश नाय दय सकित वल्कि निबेदन करित हय यदि आज तक भैइया श्रीराम अयोध्या ना अइहै तौ हम ई चिता मइहाँ जरिके राखी होइजइबै अउर हमरे चिता कय दुई चुटकी राखी लै कय श्रीराम के चरण मइहाँ चढाय दिहेव ईमा भरत अपने आपका धन्य मनिगे, ई रहै भाई भाई कय प्यार । हमरे आप के बिच्चेम भाई – भाई, सास – पतोव अउर नन्द भौजाई, लरिका बाप के बिच्चे मइहाँ सुख कय सरिता कस कय बहै यही मेर कय हम आप सब मइहाँ यही मेर कय होयक चाही तब सम्भव होई । (स्रोतः समाज जागरण साप्ताहिक)

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