
चिन्तन कइहाँ छोडि के सेवा कथा कय रसपान
–पंं. बिजय प्रकाश शर्मा (शास्त्री)२०७७ माघ १८परमात्मा गर्भ मइहाँ आवय से पहिलेन हरेक ब्यक्ति कय आयू कत्ता होई औ कतने वर्ष तक जीवित रही ऊ कय कर्म कस औ कतना ऐश्वर्य कय मालिक होई कतना बिद्या पाई, ई सारा बिधान गर्भ मइहाँ आवै से पहिलेन निर्धारित होई जात हय । हरेक ईन्सान कइहाँ थोरा थोरा कहत रहत चाही हे प्रभु हम आप कय होई अउर आप हमरे हव, जब हम अपने आप का परमात्मा कइहाँ सौंप देहव तौ परममात्मा हम का अपने कनिया मइहाँ बैठाय लेहैं, भगवान कहत हय हम भक्त के अधीन मइहाँ होई कय कौनौ कार्य करित हय, जब भगवान बिष्णु नरसिंह कय रुप धारण कै कय हिरण्याकश्यप कय बध कई दिहिन उकेबाद मइहाँ प्रहलाद कइहाँ कनियामा बैठाय कहय लागे कि हे पुत्र हमका क्षमा कय देव हमका आवै मइहाँ देर होइ गा ।
भगवान कृष्ण गीता कय १८ वां अध्याय मइहाँ ६६ वां श्लोक कहत हय जीव मात्र हमरे शरण मइहाँ आय जाय अउर सब धर्म कइहाँ छोडिके ऊ जीव कइहाँ मो...