२०७७ माघ ७ गते
नेपालगंज उपमहानगरपालिका कय वार्ड नं. ७ मईहाँ बहुतय पुरान शिख अउर हिन्दुन कय पवित्र जमीन हय । ई जमीन हय श्रीचन्द्र भगवान कय कठमहल मन्दिर । हियां वर्षन पहिले सन १९३९ मईहाँ चिफ कर्णेल लोकबहादुर थापा यज्ञ करवाय कय कठमहल मन्दिर का वनवाईन रहयं । मन्दिर कय पुरब तरफ बहुतय सुन्दर भगवान श्रीचन्द्र कय मूर्ति रख्खा हय । पच्छु तरफ आज भी लकडी कय बना घर हय, हियां बाबा गंगादास धुनी रमाए कय बैठत हय । उत्तर पच्छु कय तरफ शिख्खन कय पहिल गुरु, गुरु नानक देव जी कय चरण पादुका रख्खा हय ।
बीच मईयाँ गाय कय मुर्ति पुरब मुहं किहें रख्खा हय । जहाँ गईया कय मुर्ति हय ई के बगलय मईहाँ पुरबय तरफ भगवान श्रीचन्द्र अउर भगवान शिव कय मन्दिर बना हय । ई इमेर से कर्णेल लोकबहादुर थापा साहेब बहुतय कारिगरी से सुन्दर कठमहल वनवाईन रहय । ई मन्दिर २७ विघा जमीनमा रहय । श्रीचन्द्र स्कूल कईहाँ ९ कठ्ठा १० धुरा जमीन ई मन्दिर दिहिस, यही मईसे ८ कठ्ठा ५ धुर जमीन स्कूल कय पच्छु तरफ अबही हय ।
ई जमीन मईहाँ नगरपालिका बच्चन कय खेलय कय पार्क, हेल्थ पोष्ट अउर ३ नं. वडा समिति वनवाय रहा हय । मन्दिर कय अउरव जमीन हय वडा नं. १३ कय लोधई गांव मईहाँ पौने १० विघा पक्का जमीन । वडा नं. ८ शमशान घाटमा करीबय करीब १८ कठ्ठा जमीन हय । मन्दिरय कय जमीन मईहाँ दशकन पहिले अबही कय वार्ड नं. ११ महेन्द्र पार्क मईहाँ रहा सराय कईहाँ हटाय कय हुँआ कय आदमीन कईहाँ हियाँ जमीन दईके बसावा गवा रहय । मन्दिरय कय जमीनय मईहाँ गंगनगञ्ज रोड अउर महेन्द्र माध्यमिक विद्यालय (नाईट स्कूल) बनावा गवा
रहय । तमाम लोग मन्दिरय कय जमीन से नकली कागज बनवाय कय आपन–आपन घर बनाय लिहिन ।
पुरनीया लोग बतावत हय कि कउनव समय मईहाँ अब के रानी तलाऊ बोटि· पार्क भी मन्दिरय कय एक अंग रहय । जब कर्णेल चिफ साहेब रहे वही समय मईहाँ ई मन्दिर मईहाँ पाल्पा तानसेन कय रहय वाले बाबा धिरज मुनी हियाँ रहंय । मन्दिर कय देखभाल करय कय खातिर उदासिन अखाडा रानोपाली अयोध्या हियाँ आपन प्रतिनिधि भेजत आवा हय । मन्दिर कय देखभाल करय कय खातिर बहुतय साधु–सन्त आऐं अउर गएें । वर्षन पहिले हियाँ नासिक से नक्कू बाबा आऐं अउर उनके महाराष्ट्र मईहाँ देहान्त हुईगा । वर्षन पहिले ई मन्दिर कय देखभाल करय खातिर रानोपाली अयोध्या उदासिन अखाडा बाबा गंगादास का हियां भेजिस । पुरनिया लोग बतावत हय कउनव समय ई ठउर मईहाँ बहुतय बडे बडे पेंड लाग रहा । बाबा लोगन केर आश्रम रहा ई । मारे बिषधर सांप ठऊर ठऊर मईहाँ देखे जात रहय । सियार, शाही, जंगली कुकूर, जईस जंगली जानवर हियाँ लागत रहँय । मन्दिर मईहाँ बडवार बडवार घण्टा घडियाल लाग रहय । ऊ मा मईसे एक घण्टा अबही सुरक्षित हय । घण्टा पर शक संवत १८०४ लिखा हय अउर कर्णेल चिफ साहेब कय नामव लिखा हय । घण्टय पर लोक भक्तेश्वर मन्दिर भी लिखा हय । अईसेन हियाँ बडवार बडवार नगाडा, तुरही, सिंघनाद अउर छोट छोट घण्टा भी लाग रहँय । सबेरे अउर संझा कय समय जब हियाँ पुजा होत रहय तब ई पुजा कय सामान बजावा जात रहय ।
ऊ के आवाज मिलव तक सुनई देत रहय । रानी तलवा भी ऊ समय बहुत सुन्दर रहय । रानी तलवा का सुन्दर बनावय कय खातिर उत्तर अउर पच्छु के तरफ घाट कर्णेल चिफ लोकबहादुर थापय साहेब बनवाईन रहय । तलऊवा कय पानी बहुत शुद्ध रहय । निला पानी लोगन का आपन अउर मोहित कर लेत रहय । बहुत लोग ई तलऊवा मा नहाय, धोवय अउर पुजा करय के खातिर आवत रहय । बहुत लोग के विश्वास रहय की ई तलऊवा कय पानी पि लेब तो शरीरवा मा कउनव रोगय न लागी, तलऊवा कय उत्तर तरफ भगवान गणेश जी अउर हनुमान जी कय मन्दिर बनवावा गवा रहय । ई मन्दिर आज भी हय । पर उपेक्षा कय शिकार हय । भुले भटके कोई आवा मन्दिर का रंगवाय पोतवाय दिहिस ऊ अउर बात हय नगरपालिका रानी तलऊवा का बनवाय के हियाँ बोटि· करवाय के पैसा तो असुलत हय पर मन्दिर कय अउर विकास होय ई तरफ कउनव ध्यान नाय दिहिस हय । भगत लोग मन्दिर मा पुजा करय आवत हय तो रानी तलऊवा कय देख भाल करय वाले टिकटी काट कय उन से भित्तर जाय के खातिर रुपियाँ लैलेत हँय ।
पहिले तलवा कय भित्तर मेधुरवय विहा कय समय तेल, मरछुवा पुजए आवत रहीं । मूला अब मरछुवा पुजय वाली मेधुरवय फटकवय कय बाहिर से वापिस आय जात हँय । भगत लोग आपन ग्रह शान्ति करवय के खातिर तलऊवा मा पलय वाले मछरियन का चारा खवावय जात हँय । ऊ मछरी बाद मा नगरपालिका से तलऊवा के देखभाल करय वाले लोग काटिके बेचत आँए
हय । ई के बहुतय विरोध होत आवा हय । पर नगरपालिका आजौं मछरी पालत हय अउर बेचत आवा हय । जब बात चलिगवा श्रीचन्द्र कठमहल मन्दिर केर तब ई के इतिहास पर थोरबहुत चर्चा करयक जरुरी हय । भगवान श्रीचन्द्र सिख्खन कय पहिल गुरु के लरिका
रहँय । भगवान श्रीचन्द्र एक विद्या जानत रहँय ऊ विद्या रहय पूरै जीवन मा जवान बना रहय के । अपने ई विद्या के बलबुता मा भगवान श्रीचन्द्र हरदम अपने पूरे जीवन मा जवान बने रहँय ।
ऊ बुढहवा कबहुँ नाय भएं । सिक्ख पन्थ मा चमत्कार आदि देखावय का गलत माना गवा हय । ई मारे भगवान श्रीचन्द्र कय इतिहास सिक्खन कय धर्म मा वत्ता वर्णन नाई हय । पर भगवान श्रीचन्द्र रहँय तव गुरु जी कय लडिकय ई मारे कउनव समय गुरु नानाक देव जी महाराज आपन ई लरिका से मिलय ई कठमहल मन्दिर मा आए रहँय । ई मन्दिर मा वर्षन पहिले हजारन हजार नागा साधु लोग आए रहँय । ई नागा साधु कय गुरु हात्ती कय उपर सोनय से बना हवदा मा बईठ रहँय । तमाम नागा साधु, ऊँठ, घोडा पर बईठ के आए रहय । ठउर कम होइगवा तो ऊ साधु हडिया बाबा आश्रम अउर लखिया बाबा आश्रम मईहाँ जाय के रुके । बहुत बडा धार्मिक कार्यक्रम ऊ समय भवा रहय । ई प्रकार से ई कठमहल मन्दिर अउर रानी तलवा सिक्खन अउर हिन्दुन कय बहुतय पवित्र जमीन बन
गवा । उपेक्षा के खातिर ई मन्दिर आज बहुतय खराब स्थिति मा हय । तमाम लोग ई मन्दिर हमार पुरिखा बनवाईन रहँय बताय कय मन्दिर कय नाम कय तमाम जमीन अउर खेत कब्जियाय के खेत मा पईदा हुआ अनाज वर्षन तक खाईन । मन्दिर कय आधा जमीन काट कय श्रीचन्द्र मेवालाल हाईस्कूल बनवाय दिहा गवा । ई स्कूल भी मन्दिर कय खातिर कउनव काम अब तक नाय किहिस हय । मन्दिर मा पुजा करय के खातिर महिनामा ५ सय रुपियाँ मन्दिर का देत आवा हय । कुछ लोग अईस भी हय जो लुका छिपी करि कय नवां मन्दिर समिति बनाय कय मन्दिर के जमीन मा बना दुकान भाडा मा उठाय के आपन पास मा रख्खत आएँ हय । ऊ लोग एक ईटा भी आज तक मन्दिर निर्माण कय खातिर नाय रख पाईन हय । बाबा गंगादासय हय जो मांग जाँच कय वरस मा दुई – चार बार भण्डारा अउर धार्मिक कार्य कर देत हय । बाबा जब से हियाँ आएं हय । मन्दिर कय खेत जमीन बचावय कय खातिर मुद्दा लड्त आएं हय । नेपालगंज नगर कय पुरान इतिहास जब जब देखा जाई तो हियाँ कय हडियाबाबा मन्दिर, लखिया बाबा मन्दिर, सेवादास कुटी, काली मईयाँ मन्दिर के साथ मा ई कठमहल मन्दिर केर नाम भी जरुर लिहा जाई । ई का कोई भी अनदेखा नाय कर सकत हय ।
पर अपसोच केर बात हय । अउर मन्दिर अब भब्य मन्दिर बनिगएं हयँ पर कठमहल मन्दिर आपन अस्तित्व से हटत जात हय । हियाँ पुरान जमाना के रहा सिंघनाद, नगाडा, तुरही दुसर आश्रम मा पहुँच गवा हय । एक बहुतय बडा घण्टा गायब हय । ई मा मईसे एक घण्टा जरुर बचा हय । ऊ मन्दिर कय कोठामा बन्द हय । मन्दिर मा पुरान जमाना कय शंख भी हय । वर्षन पहिले बाँके जिला कय नाम बाँके जिला नाय रहा । ई जिला कईहाँ बाँके किला कहा जात रहय । अब के हिन्दुस्थान (अंगरेजी) केर तुलसीपुर रियासत कय राजा दानबहादुर सिंह केर अधिन मा ई जिला रहय । राजा दानबहादुर सिंह बहुतय धर्मात्मा राजा रहँय । ई मारे ऊ ई नगर मा ३ सौ ६५ ठव कोठी बनवाईन रहंय । बाँके किला कय नेपालगंज मा तमाम मन्दिर ऊ बनवाईन, बागेश्वरी मन्दिर भी ऊ मईसे एक मन्दिर होय । असार हिजरी संवत १२३४ मुकाम बाँके जिला से तुलसीपुर रियासत केर राजा दानबहादुर सिंह के जब शासन रहा ऊ राजा आपन भाई शिवदीन सिंह का ई बाँके किला के देखभाल करय कय खातिर उ रक्खीन । ई बात इतिहास मा मिलत हय । सन् १८६० मा अंगरेज सुगौली सन्धीमा राप्ती से महाकाली तक तराई प्रदेश तक कय जमिन नेपाल कय पहिले के प्रधानमन्त्री जंगबहादुर राणा का लखनऊ मा भवा अंगरेज कय विद्रोह का दबावय के खातिर गोरखाली सेना लखनऊ भेजा गवा रहय । ऊ समय वायसराय लार्ड किनि· रहँय । लखनऊ के गदर दबावय के बाद मा जंगबहादुर का लार्ड किनि· का आपन राजधानी कलकत्तामा बुलाय के ई बाँके किला जंगबहादुर का दय दिहिस । ई मारे ई ठाउँ का नवा नेपाल कहा गवा । लखनऊ लुटमा जंगबहादुर के भेजा गवा गोरखाली फौज हुँवा लखनऊ मा बहुतय लुटपाट किहिस रहय । तमाम धन दौलत लोगन कय लुटा गवा । ई मारे जंगबहादुर नेपालगंज का लखनऊ के अमिनाबाद जईसे बनावय के सोंच बनाईन ई नेपालगंज अमिनावाद जईसे बनवावा गवा । नेपालगंज का अमिनावाद जईसे बनावय के खातिर जंगबहादुर आपन विश्वास पात्र कर्मचारी सुब्बा पद्यमनाभ जोशी का जुम्मेवारी सवपिंन संवत १९१९ से नेपालगंज नगर बसवयक शुरु भवा । अउर १९३८ मा ई शहर बन गवा । यही बेरिया मा चिफ कर्णेल लोकबहादुर थापा हियाँ श्रीचन्द्र कठमहल मन्दिर १९३९ मा बनवाईन रहय ।
घण्टामा लिखा अनुसार सत्संवत १८०४ ई साबित करत हय की मन्दिर पचासन साल पहिलेन बनिगवा रहय । शहर कय सुन्दरता बढवय के खातिर नगर के बिचौबिच मा रानी तलाव बनवाईन रहय । बाद मा तलऊवा केर उत्तर तरफ नगर के बहुत बडे सेठ बाले मुन्ना वैश्य गरीब गुरुवा अउर लुला लंग्डन कईहाँ बईठवय के खातिर तलऊवा के उत्तर तरफ धर्मशाला बनवाईन् । कर्णेल थापा के समय मन्दिर कय बहुतय विकास भवा । पर उन के मरय के बाद मन्दिर अनाथ अउर बेसहारा जईस हुई गवा । ई मारे मन्दिर कय सम्पत्ति हमार होय ई बताय के तमाम लोग मन्दिर पर कब्जा कर लिहिन अउर ऊ के अन्न वर्षन तक खातय रहँय ।
मन्दिर कय बारे मा एक आश्चर्य केर बात अउर बतावयक जरुरी हय । कि श्रीचन्द्र मन्दिर अउर ऊकय बगल मईहाँ रहा शिव मन्दिर पुरनमासी केर दिन खूब जमकत रहय । यही समय मा एक बाबा रहें उनके नियत मन्दिर कय चमक पर खराब हुई गवा । मन्दिर मा लगा पलस्तर मा कउनव दुलर्भ रतन तव नई मिलावा गवा हय जानय केर खातिर मन्दिर कय पलस्तर रातयरात मा तोडफोड दिहिन । भगवान जानय पलस्तर मईसे दुलर्भ रतन निकला की नाई पर जल्दीबाजी मा करके हुआँ दुसर नवा पलस्तर बनवाय दिहा गवा । कउनव समय मन्दिर के खूब रुतरुतबा रहय । ई मन्दिर के नाम हियाँ सिरिफ नांही लखनऊ, अयोध्या अउर हरिद्वार तक प्रसिद्ध रहय । आज कय मन्दिर कय सामने पुरवय तरफ कय पूरा जमीन मन्दिरय के रहय । पर आज ई मन्दिर बहुतय गरीब हय । ई कय अबही संरक्षण सम्वद्र्धन करय कय खातिर काम नभवा तव नेपालगंज नगरी कय इतिहास कय एक अंग कठमहल मन्दिर कय अस्तित्व मिटिजाई । कुछ भगत मन्दिर केर बारे मा थोर ईमान्दार रहय । वार्ड नं. ३ एक्लैनी मा बईठय वाले सेठ कन्धई लाल वैश्य ई मन्दिर केर बहुत सेवा किहिन मरेयकय समय लाखन रुपियाँ मन्दिर कय निर्माण मा खर्च करयकय खातिर रुपियाँ एक जने के पास जमा कर दिहिन ऊ आदमी ई मन्दिर के विकास कय खातिर कउनव काम आज तक नाई किहिन हय । लागत हय नियत मा कुछ खराबी आई गवा हय । ऊ लोग ई लाखन रुपियाँ का अब नेपालगंज–११ जोलहनपुरवा के नजदीक मा रहा किन्नुराम काशीराम पञ्चयती धर्मशालामा ई रुपियाँ लगावयक सोंच रख्खे हँय । (स्रोतः समाज जागरण साप्ताहिक)