कैसी है मुसकिल कुछ करने नही देती
हंसता हू तो आँख दिखा कर हंसने नही देती
बडी मुसकिल मे है जान जीने नही देती
करवा चौथ का ब्रत रखकर मरने नही देती
तलाक मे तय हुआ सामान बराबर बाटे जाएगें
मगर थे तीन बच्चे उनको कैसे बांट पाएगें
सर चकराया जो अफसर का तो पत्नी ने कहा पति से
हमे कोई नही चल्दी चलो हम अगले साल आएगें
रहे दिल मिल के उन दोनो विचारो के ही दुनिया मे
उन के विचारो के उडे है अब तो परखच्चे कि उसके
पत्नी को हुए है दो जुडवा बच्चे ।
नयां नयां टी.बी. घर आया प्रशन्न भए दादा जी
सुबह सबेरे से ही आस्था के सागर मे उतर गए दादा जी
यी टी. बी. भी टी.बी. फैसन टी.वी. के चक्कर मे पड गए दादा जी
वसन बिहीन तन तरुनी के देख देख
ब्लड प्रेसर बढा तो गुजर गए दादा जी
शिव प्रसाद पाठक
नेपालगन्ज–६, बाँके