२०७७ फागुन २७ गते
राजापुर गांव कय कामता मुराऊ का सउदिया जायक वडा मन रहय । गांव के तमाम लोग सउदिया से पैसा कमायके लाये औ घर पक्का बनवाइन जघा जमीन खरीदिन औ वडे मजे से रहय कोई कोई तौ दुई तीन दफी जाय चुके रहें । उनही लोग कामता का खुब समझावै सउदिया बारेमा मेरमेर केर बात बतावै । यही मारे कामता केर मन ललचाय । कामता अपने बप्पा सुमिरन से कहिन बप्पा हमहूँ सउदिया जावा चाहित हय हमका पठवयक तैयारी कय देव ।
सुमिरन कहय लागे भैया हमरे पास सबकुछ हय हिंया खेतीपाती मइहाँ ध्यान देव अतना खेत हय कि नीकसे कै नाई मिलत हय । तमहूँ मेहनत से ध्यान देहौ तौ सउदिया केर कमाई हिंयै हय । औ तुमका का कमी हय जौ परदेश जावा चहत हौ । तनि अपने चारिऊ ओर देखव जो जो सउदी जायके कमाई कय के लाये हय उनके घरे पहिले का रहा खायक ठेकाना नाई रहा तौ परदेश गये रहे । अउरौ एक बात हय कतने आदमी हुवा मरि गए है उनकै लहास वक्सा मइहाँ भरिकै आवत हय । हमरेन गावं के उस्मनवा केर लहास अवही वहुत दिन नाई भवा आवा रहय तुमहूँ जानत हौ । ई सब वातन का देख सुनिकै हमका वडा डेर लागत हय । तुमही हमरे दूनौ परानी के आंखि के उजेर हौ हम कसकय विदेश जायक तयारी करी करमोहना वाले तोर मामा तुमरे वियाह खातिर जोर मारत हय हमरे उप्पर दवाव डारत हय कामता केर वियाह हमरे ककुवा के विटिया पुलवा से कइलेव अस विटिया ढूढे न पइहौ सव मेर काम के लायक हय अव तुमही बतावौ, तुम्हार महतारी औ हम पुरनिया होई गवा गा हय तुम्हार वियाह कइके पतोहिया लाइब जौन हम सव का एक लोटा पानी औ दाना दी ई सव हम औ तुम्हार महतारी सोचे हन, औ तै परदेश (सउदिया) जायक वात वतावत हस ईमा हम लोग का करि, तै चाहत हस तै परदेश चले जा हम सव चाहै जस रही मरी चाहै जिन्दा रही तै का का मतलब हय ।
महतारी कहय लाग भैया तुमका ९ महिना पेटेम धरि धे पैदा कीन पाला जियावा यहि कारन कि हमरे बुढौती मइहाँ साथ देहौं हमार किरिया करम करिहौ लेकिन तुम तौ सात समुन्दर पार परदेश जात हौ हम सव कै का होई राम जानै । कामतवा कहय लाग अम्मा हम कहूँ जिन्दगी भर कारन जाइत हय तीन साल मइहाँ लौटि अइवय, हमार इच्छा रहा हि हमहूँ देश विदेश टहरली यही मारे हम जावा चाहित हय पैसा के लालच मइहाँ हम नाई जाइत हय ।
चार पाँच दिन संझा सकारे यही वतकही कामता सुमिरन औ उनकै दुलहिन से होत रहा लेकिन कौनौ रस नाई निकरय । एक दिन कामता केर मामा रक्षाराम करमोहना वाले घरे आयें रहय कामता घरे रहय यही समय मा सवकोई वैठिके वतुवाय लागे, का कीन जाय, सुमिरन कहय लागे कामतवा मनतै नाई हय कतना समझवा लेकिन ऊ अपनय जिद्दी पकरे हय वताओ का करी । रक्षाराम कहय लागे जीजा हमसव कोई संझक वैठके एक दफा अउर वात कीन जाय, हमरे मन मा एक विचार हय साइत कामतवा मान जाय । खाय पीके संझाका सव पूरै परिवार वैठय, तब रक्षा राम कहाँ जात हय वहमा तुम्हार औ परिवार केर भलाई छपा हय । तुमका जौ परदेश जायक अतना मन लाग है तौ हमरे पास एक योजना हय । मनिहौ तौ वताई । कामता कहय बताओ मामा मानय वाला होई तौ जरुर मनवै । रक्षाराम कहिन देखौ भैया जब तुम परदेश (सउदिया) चले जइहौ तौ तुम्हार महतारी वाप अकेल होई जाइहै खेती पाती भैंस पडवा देखैया कोई न रही । दिदी घर के काम देखिहै कि बाहेर केर सोंच । जौ तुम परदेश जावै चाहत हौ तौ पहिले अपन वियाह कै लेव घरमा एक मनई वढिं जाई पतोहिया घर कय सव काम सम्हारली तौ दिदी जीजा बहिरे केर काम देखिके साल दुई साल काटि लेहै ई मा तुम्हार का विचार हय सोंचि समझ के बताओ तैसै किया जाय । सुमिरन कहय लागे हाँ भैया नीक वात बताये हौ भला कामतवा मानय तौ ठीक रहा ।
कामता वही थिर रहा कहय लाग मामा वात तौ ठीक हय मने हम सउदिया कब जइवै । रक्षाराम कहिन हय भैया वियाह होय जाय तोर दुलहिन हिंया रहय लागय घरकै काम काज जान जाय तब तुमका पठवयक इन्तिजाम हम कय देबय यहमा शंका न मान । वात मिलि गवा । करमोहना गांव कय रामदीन मुराऊ के बिटिया फुलवा से कामता केर वियाह कय बात चलय लाग दूनौ परिवार राजी होइगे । वियाह करावय वाले महराज कहिन लरिका विटिया संज्ञान न होइहै तौ हम वियाह न कराइब, छोट लरिका विटिया कय वियाह करावब अपराध हय । रामदीन कहय लागे महराज आप तनिकौ चिन्ता न करव फुलवा वीस वर्ष कय हय औ कामता तेइस वर्ष केर हय । वियाह पूछि जष तयारी दूनौ ओर होय लाग । रामदीन मुराऊ पढे लिखे मनई रहे नवां सोंच विचार औ नवा परम्परा चलाइन । सुमिरन से कहिन जीजा अब हम लोग पुरान वात का छौडौ, विटियक वियाहेम हम दहेज न देवै औ विटिया वियाहेम बिदा करवय गौना, थौना केर परम्परा बहुत पुरान होइगवा ई का छोडौ । सुमिरन कहिन लरिका विटिया तुमरै होय जस करौ हम का मंजूर हय ।
वडे धूमधाम हसी खुशी मा फुलवा, कामता केर वियाह होयगवा फुलवा अपने ससुरार राजापुर आय गय सुमिरन दूनौ परानी वडे खुशी भयें । कहयक तौ रामदीन मुराऊ कहिन रहय कि दहेज न देवै लेकिन वियाहेम अपने विटियाका सवकुछ दिहिन जौन चाही । फुलवा कामता वडे मजे मा रहय लागे कौनौ चिन्ता नाई रहा । फुलवा पढी लिखी विटिया रही थोरेन दिनमा सव घर कै काम काज सम्हार लिहिस दिन जात देर नाई लागत है । हसी खुशी कै दिन अउर हाली बीत जात है । ६ महिना बीत गवा । एक दिन कामता अपने वप्पा से कहिस हम तौ आप लोगन केर सव वात मान लिया है मने अव हमका जौन कहे रहेव सउदिया पठवयक इन्तजाम कय देव । सुमिरन कहिन तोरे मामा का बलुवाइत हय उनही सव काम करिहै । कामता केर पासर्पोट बनिगवा अब भीसा कारन सव कोई जोर लगाये रहें । फुलवा जब सुमिरन कामता बिदेश जायक तैयार है तौ बहुत दुखी भय, कामता से कहय लाग महका हिंया अकेलै छोड के बिदेश जाय कारन वियाह कय के लाये रहव हमका बीच धारा मइहाँ न छोडव, हमका मालूम होत कि तुम बिदेश जइहौ तौ हम वियाह न करित, कामतवा फुलवा का वहुत मुहात रहा कहय लाग एक दुई वर्ष मइहाँ तौ हम लौटिके अइबय काहे घबडात हिंयौ । फुलवा कहिस तुम कौने कारन से बिदेश जात हौ हमका अपने मन कय बात बताओ । तुमरे पास खेत पात नाई हय कि घर कुरिया पक्का नाई है कि रुपिया पैसा नाई हय कि मिहारु नाई हय कौने कारन तुम बिदेश जावा चाहत हौ बताओ कामता कउनौ जवाब नाई दई पावय मिहारु, मर्द मा रात भर बतकही भवा कोई सोइन नाही सकार होइगा । दिन भर अपने अपने काम मइहाँ रहें सव रात का फुलवा औ कामता केर बतकही शुरु होई गवा, फुलवा कहय लाग विदेश विदेश न चिल्लाव हम जानित हय तुम काहे विदेश जावा चाहत हौ तुम अपने बाप महतारी के दुलारा लरिका, कबहूँ काम करय नाई दिहिन होई गये हौ सुकुवार हंसै लागे औ कहिस हिलाल होइ गये हौ विदेश मइहाँ फूहर काम, खतरनाक काम, औ कठिन काम बाहिरी मजूरन का मिलत हय जानेव जौन हिंया खात पियत हौ अउर मिहारु थिर सोवत हौ सव सपना होई जाई हुवां रक्तन आंसु रोइहौ कोई आंशु पोछैवाला न मिली बहहुत दुःख पइहौ । तुम विदेश न जाव मानौ तौ हम एक हम कही, कामतवा कहिस कहौ । तुम विदेश न जाव हमरे गावं से बजार चलावा जाय पइसय पैसा हय । एक टेंम्पू लीन जाय गावं से बजार चलावा जाय पइसय पैसा हय । एक टेंम्पू तुम चलाओ एक डूाइवर से चलवाओ विदेश केर कमाई हिंयै हय । कामता हूँ हाँ तौ किहिस लेकिन मन मा का हय । जान नाय मिला । कामता मुराऊ कय भीसा आइगवा बाइस दिन के बाद काठमान्डू से सउदिया कय उडान रहा सव तैयारी करय लागे फुलवा बहुत उदास रहय लाग ऊ कय बात कामता नाई मानिस ।
कामता केर काठमान्डू उडयक दिन से नौ दिन पहिले एक गजब घटना भवा, राजापुर गावं केर लल्लू मनिहार अउर लौटन पासी जउन सउदिया गये आठ महिना भवा रहा उई दूनौ हुवय मरिगयेक खबर आवा गावं मइहाँ जस सन्नाटा छाय गवा कहय लाग अब हम बिदेश न जइबै चाहै जौन नफा नकसान होय हिंयै रहिब ई बात जब फुलवा सुनिस खुशी से फूल गय महतारी बाप भी खुशी भये । फुलवा योजना बनाइस दुई ठउर टेम्पू खरीदा गवा खेती पाती आधा से सैगर बटैया मा दीन गवा फुलवा कहय लाग हमार सास ससुर पुरनिया हय उनकै आराम करयक दिन हय इनकै हम सेवा करिब औ मजेमा रहा जाई ।
कामता कहय लाग भईया परदेश तौ हम चाहित हय कि कोई न जाय अपने देश कोष मइहाँ सेवा कइकै अपने समाज का आगे बढाओ उंmचा बनावा जाय घर परिवार के साथेन गावं समाज मिल के प्रगति के मुहार सोला जाय हम चाहित हय जिन्दा रही तौ अपनेन देश मा मरी तौ अपनेन देशमा हमार परान अपने देशमा निकरय, यही मारे वडे आदमी कहत हय कि जन्मभूमि स्वर्ग से वडा है । फुलवा खुशी बाप महतारी खुशी कामता खुशी, कामता टेम्पूमा कमात हय वजार केर सौदा आय जात हय । भैया परदेश कोई न जाव नइ तौ लौटन पासी होइ जइहौ । कोई परदेश न होय यही हमार आप सव से हाथ जोरि के बिन्ती हय ।
(नेपालगन्ज उपमहानगरपालिका–६, फुल्टेक्रा)
(स्रोतः समाज जागरण साप्ताहिक)