Monday, November 25सत्यम खबर
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लोकतन्त्र अउर जीवनशैली


२०७७ चैत २१ गते
ऐतिहासिक लोकतान्त्रिक आन्दोलन से सफलता पायेक एक दशक होई पहुँच गवा है । युगान्तकारी परिवर्तन के खातिर दर्जनौं व्यक्ति लोग अपन जीवन का आहूती दै चुके है । मने ऊ शहीद लोग जिके खातिर अपने जीवन कै आहूती दिहिन रहय, ऊ दिशा मइंहाँ मुलुक सञ्चालन नाय भवा है । शहीदन के घर परिवार, घायल अउर आन्दोलनकारी औ दशक लम्बा सशस्त्र हिंसा के क्रम मैंहा तड्फत रहें पीडित लोग जान लेयक चाही आज तक न्याय नाय पाइन हैं बिपन्न वर्ग के खातिर लोकतन्त्र से तनिकौ फरक अबही तक नाय परा है ।
जनता के प्रतिनिधि लोग लिखा गा संबिधान जारी भवा है तौ वास्तविक लोकतन्त्र तर्फ के रूपान्तरण के खातिर सहभागितामूलक लोकतन्त्र कै अभ्यास नाय होइ पाइस है । राज्य सञ्चालन मइंहाँ जनता कै नियन्त्रण लोकतन्त्र होय । मने स्थानीय निकायन मैंहा करीब दुई दशक से निर्वाचन न होयके कारण से स्थानीय निकाय मैंहा तरे तह के राजनीतिक नेता कार्यकर्ता लोगन कै खाय पियैवाला जगाह के रुप मैंहा खाली बिकास भवा है । बिकास के नाव मैंहा पठवा गा रकम कै भागबण्डा कै कय सगरिऊ रकम खतम कै देत हैं । वेथिती अउर कुरीति रोकैक खातिर दलीय प्रतिवद्धता तनिकौ देखान नाई है । स्थानीय निकाय के मार्फत् खर्च होयवाला अर्बौं अरब रकम बीना काम मैंहा खर्च कै कय रकम वोरुवाय देत हैं । ई निकाय राजनीतिक अराजकता कै उदाहरण बनि गवा है । हुवा तौ जनतन कै तनिकौ पहुूच नाई है, कार्यकर्ता लोगन कै तौ जानलेयक चाही खाली मन परी चलत है अउर तौ कुछु नाय । राज्य कै सब निकायन मैंहा भागबण्डा राजनीति कै शिकार बनि गवा है ।
शिक्षा से स्वास्थ्य क्षेत्र, सामाजिक विकास से आर्थिक क्षेत्र आगे बढि नाय पाइस है । अबही कहा जाय तौ लोकतन्त्र मनईन के जीवनशैली मैंहा खास कुछ परिवर्तन होय नाय पाइस है । लोकतन्त्र के बाद मैंहा जनता कै भावना अनुसार काम होयक चाहत रहय तब तौ जनजिविका कै सवाल मैंहा जनपक्षीय काम होत । मने अकही तक नागरिक लोग वस कुछ महशूस कै नाय पाइन है । जनतन कै आर्थिक सम्पन्नता अउर सामाजिक न्याय के कसी मैंहा नजाूचे गये है और खरा नाय होई पाइन है लोकतन्त्र तौ खाली नाम मात्र कै रहा है टिप्पणी होत रहा है । पार्टी बना, निर्वाचन भवा अउर जनता लोग अपन अपन मत दिहिन ईसे कहा जाय तौ लोकतन्त्र भवा नाय भवा । ई तौ जान लेयक चाही खाली तौ दलीयतन्त्र मात्र भवा । नेपाल मैंहा अबही लोकतन्त्र के नाम मैंहा दलीयतन्त्र है कहा जाय तौ पहंूुचवालेन कै खाली बोलबाला है अउर कुछ नाई है । नागरिक लोग लोकतन्त्र कै महशूस कस कै करत रहे है । जनता मैंहा रहा शासकीय अधिकार जनअनुमोदन मार्फत् आवधिक रुप मैंहा दलन कै खाली प्रयोग करैवाला तन्त्र मात्र होय । प्रजातन्त्र शब्द से तौ राजतन्त्र कै झलक देत है कहितै शाब्दिक परिवर्तन मार्फत् शुरुवात किहा गा ई लोकतन्त्र स्थापना भयेक दश वर्षे के अवधि मैंहा देश कै नेतृत्व करै वाले लोग तौ एकदम अच्छा अवसर पाइन है देखात है मने हुआ जनता लोग न्याय के खातिर सडक मैंहा खाली परेशानी उठावत रहे है । माओवादी के नाम मैंहा होय या राज्य के नाम मैंहा पीडित भये लोग दशक होय लाग मने अबी राहत अउर न्याय कै कौनौ प्रत्याभूति पाइन नाई है । बि.सं. २००७ साल मैंहा राणा शासन कै अन्त्य भए से ही प्रजातन्त्र के खातिर कइयु अभ्यास होइ चुका है । मने लोकतन्त्र बहाल भयेक बाद इतिहास देखा जाय तौ मने ई क्रम मैंहा तौ सैगर खाली उतारचढाव, अस्थिरता अउर अन्यौलता कै एक घुमारा पारा कै इतिहास हमरे लोगन के अगारी साक्षात् रहा है । नेपाली जनतन मैंहा लोकतन्त्रप्रति कै आस्था अउर बिश्वास मइहाँ बैरैबेर आँच पहुूत रहा है । जिके कारण नेपालिन मइंहाँ अबिश्वास, नैराश्यता के साथेन अकर्मणयता जस मनोवैज्ञानिक असर परत रहा है ।
(स्रोतः समाज जागरण साप्ताहिक)

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