Friday, November 22सत्यम खबर
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“साहसी लड्की” संस्मरण

२०७७ माघ ७ गते
ट्रेन छुट्य वाला रहय । समय होइ चुका रहय । बराबर सीटी भी देत रहय । चाय वाले अउर समोशा वाले भी अपन दौड लगाए रहय । आगरे कय मकहुर पेठा लई लेव कहि कय पेठा वाला भी चिल्लात रहय । हम लोग आज वापस आईत रहेन । आगरा फोर्ट रेलवे स्टेशन छोटी लाईन टे«न से हम लोगन कईहा“ लखनऊ आवयक रहा ।
हम अपने ध्यान मईहाँ हरान रहेन अउर यात्रक बारेम सोंचित रहेन । हम लोग एस.एल.सी. (हाई स्कूल) परीक्षा दइके इधर घूमय आए रहन । सन् १९६६ (वि.सं. २०२२) कय बात होय । हम लोगन कय संख्या तीन रहय । जिमा हमरे सहपाटी मित्र द्वारिका प्रसाद वैश्य तथा चुन्नी लाल साहू जी भी साथे रहे ।
हम लोगन कय उद्देश्य परीक्षा देयक बाद छुट्टी बितावयक, ताज महल घूमैक अउर मधुरा मईहाँ श्रीकृष्ण भगवान कय जन्मष्टमी मनावयक रहय । आज पहिले दिन सकारे ७ः०० बजे हम लोग आगरा पहुँचे रहन । आगरा फोर्ट स्टेशन पर ही उतरे रहन् । नजदीकय कय होटल मईहाँ एक मरा लइके रुका गवा रहय । जमुना नदी मईहाँ स्नान कईके फिर हम लोग ताज महल देखय लिये चल दिहा गवा । रिक्सा से हम लोग ताज महल तक पहुँचा गवा ।
ताज महल पर हम लोग काफी समय बितावा गवा । घन्टन ताज महलका हर तरफ से ध्यान से देखा गवा । दूर अउर नजीक से तमाम फोटो भी अपने मामूली रसियन क्यामरा से फोटो भी खींचा गवा । सुबह ६ः०० बजे से लइके दिनके १०ः०० बजे तक हम लोग हुवंय रहेन । ताज कय पिछले हिस्सा से हम लोग जमुना नदी मईहाँ सिक्का भी फेंका गवा रहय । ई सिक्का नदी कय सतह मईहाँ पहुँचयस पहिलेन गोताखोर लडिके लोग बीचै मईहाँ लपक लेत रहय । ई दृश्य बडा नीक लागत रहय । ई सब देख कय हम लोग खूब मजा लिहा गवा रहय ।
ताज महल देखत–देखत हम लोक थकिगेन, आँखी भी चौंधियाय लगी, भूख भी लगि गवा, तव हम लोग बहिरे निकरा गवा रहय ।
मुख्य गेट से थोरिन फरक पर सडक कय किनारेन एक होटल रहय । जिके ताज रेष्टुराँ मईहाँ बैठकय हम लोग काश्मीरी फल कय सलाद कय स्वाद लिहा गवा तथा नास्ता भी किहा गवा ।
ताज मईहाँ प्रवेश कय दौरान आगन्तुक पुस्तिका मईहाँ हम अपन नाम अउर तिथी सन् १९६६ अगस्त महीना लिख भी दिहा रहय । ई रजिष्टर विदेशी आगन्तुक लोगन खत्तिर रहय । जब उहाँ कय कर्मचारी हमसे पूँछिस तब हम आपन पता नेपाल कय बतावा गवा । तब हम लोगन से कहिस चलो कोई बात नाही अब लिख दिया सो लिख दिया बइसे नेपालको हम लोग विदेश नही मानते हय । मैले उसे धन्यवाद कहाँ अउर क्षमा माँगी तो उसने विनम्रता से हम लोगन का पुनः कोई बात नही कहिकय ताज देखय जायक अनुरोध किहिस रहय ।
जहाँ तक हमका याद हय कि ऊ समय आगरा फोर्ट से ताज तक कय मार्ग सामान्य अउर उजाड जस लागत रहय । चारव तरफ आज जस हरियाली अउर व्यवस्थित नाय रहय । हियैं दोपहर कय भोजन करयक बाद घूमत–घामत हम लोग आगरा फोर्ट तक पैदल चले आवा गवा रहय । आगरा फोर्ट (किल्ला) का देखयक खातिर किला कय भित्तर गवा गा रहय ।
आगरा फोर्ट मईहाँ बुर्ज बना हय जहाँ से जमुनाजी कय नजारा बडय सुन्दर अउर साफ देखात हय । इतिहास कारन कय विचार हय कि यही बुर्ज मईहाँ शाहजहाँ का कैद कइके रक्खा गवा रहय । ई बुर्ज से ताज महल साफ सुन्दर अउर हर हमेशा देखा जाय सकत हय । ई बुर्ज कय चारव तरफ सौफिट से भी जादा गहिर खाई खन्दक हय जिमा पानी भरा रहत हय । ई बुर्ज से बाहर न तो जावा जाय सकत हय न कूदा जाय सकत हय । आवै जायक सिर्फ एकय रास्ता हय । ई मेर ई खुला अउर सुन्दर स्थान खुला कैदा खाना जस हय । शाहजहाँ अपने जीवन कय अन्तिम साँस यही लिहिन रहय । इतिहास कारन कय मत हय की ई बुर्ज कय एक खम्बा मईहाँ उक कीमती हीरा जडा रहय । शाहजहाँ ई हीरा से तालमहल कय छवि देखा करत रहय ।
हम लोग आगरा फोर्ट, ताज महल अउर दयाल बाग देखयक बाद दुसरे दिन हम लोग मधुरा बस कय सफर से पहुँच गए रहन् । मधुरा मईहाँ हम लोग श्रीकृष्ण जन्म भूमिकय दर्शन, बृन्दाबन, गोकुल भी घूमय गएन् । मधुरा मईहाँ हम लोग दुई दिन रहेन । श्रीकृष्ण जन्म भूमि कय भब्य मन्दिर जउन ई समय बन चुका हय ऊ समय पूर्ण नाय भवा रहय प्रकृया मईहाँ रहय । दुई दिन तक जन्माष्टमी देखयक बाद घूमघाम कय बाद हम लोग वापस बस से आगरा आय गवा गा । आज वापस जायक खातिर हम लोग टे«न मईहाँ बैठगे रहन् । हम यही विचार मईहाँ खोये रहन् यही बीच एक सुन्दर लड्की हमरे सामने वाली सीट पर खिड्की कय किनारे आयक बैठ गई रहय ।
सीट पर बैठी लड्की कय हम अवही देखा रहय । हमार ध्यान पूरी यात्रा कय घटना पर रहय । लड्की कईहाँ देखयक बाद हमार ध्यान बाहेर प्लेट फार्म तरफ चला गवा रहय । टे«ेन कय खिड्की से हम प्लेट फार्म कय साथय आगरा फोर्ट कय सुन्दर अउर भब्य महल तरफ चला गवा रहय । अब गाडी धीरे धीरे रेंगय लागि रहय । टे«न कय खिड्की पर आज तना लोहेन सिक्चा नाय लगे रहय । सामने सीट पर बैठी लड्की भी पूरा हाथ खिड्की पर रख्खे आराम से बैठी रहय । टे«न कय रेंगयक साथ साथय जईसे गाडीकय गति कुछ बढी तबही एक लोफर टाइप कय गिरहकट लडिका कय हाथ लड्की कय कलाई तरफ कुछ छीनय खत्तिर आगे बढा । शायद लड्की व्यथ कलाई पर बंधी घडी खीचत रहय ।
लड्की भी काफी फुर्ती कय साथ ऊ लड्का कय बाल अपने हाथेम भरि लिहिस । ई सारा घटना अतनी फुर्ती कय सब कुछ एक साथ भवा कि डब्बम बैठे लोगन का समभ्mयक मौका नाय मिला । हम लोग भी फुर्तिक साथे ऊ लडिकक खिड्की कय तरफ खीच लिहा गवा । जिमा चुन्नी जी कुछ जादै हिम्मत देखाईन् अउर उका पीटयक शुरु कय दिहिन ।
घटना कय देखतय खन चाय वाले, समोशा वाले जउन प्लेट फार्म कय तरफ रहय इकट्टा होई गये । सब लोग पीटय लागे । भीड इकठ्ठा होइ गवा । गाडी जउन रेंग रही रहय रुक गई । देखत देखत पुलिस भी आय गई अउर घटना कईहाँ छोटकरी मा समझतय गिरहकट का अपने साथ लइकय चली गयें । इधर टे«नव चल पडी ।
टे«न चलयक बाद हम लोग अपने अपने हिसाब से घटना कय चर्चा परिचर्चा तरफ लागि गवा गा । हम लपककय ऊ शाहसी अउर बहादुर लड्की कय हाथ देखा कलाई घडी कय चैन कय रगड से छिल गवा रहय । खूनियाय गवा रहय । धीरे धीरे अब हाथेम दर्द भी होय लगा रहय । डिब्बा कय लगभग सभी लोग साहसी लड्की कय साहस पर बधाई देत रहय अउर प्रशंसा करत रहय । हम लोग भी जमकर तरीफ किहा गवा रहय ।
हम लोगन कय यात्रा नेपालगंज छटे दिन पहुँचयक बाद खतम होइ गवा रहय । लेकिन ऊ हिम्मती फुर्तीली, साहसी लड्की कय पुरय घटना अवही जस कय तस आँखिन कय सामने जईसे नाचत रहय । ई घटना हमका आज भी ई सीख देत हय कि महिला कबहू अबला नाय होइ सकत हय । ऊ हर परिस्थिति से मुकाबला करयम सक्षम हय । सिर्फ ऊ कय अत्म बल का दबावयक प्रयास न किहा जाय । ऊ का सदैव प्रोत्साहित किहा जाय । (स्रोतः समाज जागरण साप्ताहिक)

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