Friday, November 22सत्यम खबर
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मेंधरुवनका मारेक अउर छोडेक समस्या बढ्त जात हय

(२०७७ माघ १३)
हिन्दु धर्म मईहाँ मेहरुवनका शक्ति कय एक रुप मान कय सम्मान दिहा गवा हय । मूला ई सब बात अब सिर्फ धार्मिक किताबन तक सीमित हय । व्योहारमा कबहुँ नाय लावा गवा हय । कुछ वर्षन से मेहरुवनका मारेक अउर बाद मईहाँ उनका छोडदेक समस्या बढ्तै गवा देखा गवा हय । ई प्रकार से देखव तव हियाँ बाँके जिला मईहाँ एक विशेष समुदायमा ई समस्या बहुतय हय । ई समुदाय के करीब १७ हजार से जादा मेहरुवय का उन के मर्दवय छोड् दिहिन हँय । जिके कारन अईसेन मेहरुवय मजदुरी करिके अपने पेट चलावत हँय । उन के लरिका बच्चा बहुत खराब स्थिति मईहाँ हँय । अबही तक मेहरुवनका या तो खाना बनावयक केर अउर बच्चा पईदा करैक मसिन जस प्रयोग किहाँ गवा हय ।


अईसेन हालत सबहीँ समुदायमा हय । मेहरुवनका चद्दरमा लपेट दिहाँ गवा हय । ऊ घर से बाहेर नई निकल सकत हँय । हवा बयार भी उनका नाय लाग सकत हय । मौका परा तव उनका अपने भूँख मिटावय कय खातिर प्रयोग किहा जात हय । मेहरुवन कय हकमा बहुत बडी बडी बात किहा जात हय । मूला जब ढोल गंवार शुद्र पशु नारी सकल ताड्न के अधिकारी जईस चौपाई आय जात हय, तब उन कय हक अधिकार सब खतम हुई जात हय । उन कय उप्पर शोंषण बढ जात हय । ई दोहा कय अर्थ हय, जब तक ढोल पिटा ना जाय ऊ ढोल बाजत नाय हय । गँवार, शुद्र अउर पशु का जबतक मारा ना जाय सिध रस्तामा नाय चलत हँय । यही मेर जब तक मेहरुवनका पिटाई न देव तब तक ऊ (बाँकी ४ पेज मईहाँ) निकय से नाय चलत हँय । अब यही सब बातन से जान मिलत हय । मेहरुवनका कतना अधिकार मिला हय । मूला अब जमाना बदल गवा हय ।

अब थोर मेहरुवय घर से बाहेर निकलय लागी हँय । तमाम संघ संस्था कार्यालय मा काम करत हँय । पर इन कय संख्या बहुत थोर हय । ई जईसेन मेहरुवनका बहुतय गिरी नजर से देखा जात हय । अईसे मेहरुवय आज मर्दवय से कंधा से कंधा मिलाय के काम करत हँय । इन सब बातन से जान मिलत हय मेहरुवनका भी आगे बढावयक खातिर अब सोंच बनावा जाय । ई प्रकार से ऊ मर्दवन से अच्छा काम कर सकत हँय । नेपालमा जब जब व्यवस्था परिवर्तन हुआ मेहरुवनका आगे बढावयक केर खातिर बहुतय कार्यक्रम आवा पर ऊ के नतिजा सिफर आवा आनिकी सुन्ना । नेपालमा कुछ समुदाय कय मेहरुवय हर क्षेत्रन मा आगे हँय । पर मधेशी मेहरुवय हर जगह पर पाछे हँय । ई के कारन हय ऊनमा चेतना कय कमी । कहाँ तव ई गवा हय मेहरुवनका स्वातन्त्रता से मौलिक अधिकार केर साथ उनका पढाई लिखाई नवा गुन लेक, नोकरी करयक छुट हय । मूला ई सब डर दवाव के नाय हुई सकत हय । आज जईसेन ऊ घर से बाहेर पांव निकालय के खातिर सोंचत हँय । उनके उप्पर बहुतय दबाव देयक शुरु हुई जात हय । ऊ कहाँ जईहँय, किस्से मिलिहँय, यही सब सोंच कय तमाम फजिहत होय लागत हय । ईही मेर मेहरुवय फिर वही घरमा रहिजात हँय । नेपाल केर मधेशमा देखव तव मिलिहय कि हिँया के मेहरुवनमा ढेर शिक्षा केर कमी हय । तनकव शिक्षा ऊ नाय लिहे हँय । ई शिक्षा कय कमी कय खातिर मधेशी मेहरुवय आपन अधिकार अभितक नाय पाय सकिन हँय । सब से जाता तो दुःख ई बात कय हय की मधेशिन मेहरुवनमा अबहुँ अपने अधिकार लेक तनिकव बुद्धि नाई हय । कौनव मेहरुवनमा बुद्धि हय भी तव ऊ आगे बढयक भी चाहत हय तब उनका समाज केर शोषक लोग आगे बढयक रोक देत हँय । कहाँ गवा हय कि मेहरुवा अउर मर्दवा रथ कय दुई पहिया हैंय । ई केर एक पहिया नाई चला तव दुसरै भी कबहुँ न चल पाई ।


आज कय जुग २१ शताब्दी कय होय । हमार शिक्षा मईहाँ मधेशिन मेहरुवनका पाछे नाई रख्खेक चाही । पुरा विश्व मईहाँ देखा जाय तव मिलिहय कि हुँवा मेहरुवय बहुत बडा बडा काम किहिन हँय । कतनव देशमा तव मेहरुवय प्रधानमन्त्री तक बनिके हर जगह प्रसिद्ध हुई गँई । उदाहरण लेव तव इन्द्रा गान्धी, भण्डार नाईके, बेनजीर भुट्टो, शेष हसिना वाजेद जईस तमाम मेहरुवय देश चलाईन् । हमरे देश नेपाल मईहाँ विद्यादेवी भण्डारी राष्ट्रपति हुईगई ई पर नेपाली मेहरुवनका अपने उप्पर गर्व करयक चाही । लेखक मईहाँ लेव तव आज तस्लीमा नसरीन बहुतय नाम कमाय चुँकी हँय । ई सब उदाहरण से मेहरुवनमा अब शाहस जागेयक चाही ।
मेहरुवय आज अपनेम भरोसा रख्खय तव उन कय बहुत विकास हुई सकत हय । उनका कोई खेलवना जईसे खेलयक हिम्मत नाय कर सकत हय । आज तक नौबत ई हय कि बिटियनका लरिका कय तुलना मा ई मारे कम शिक्षा दिहाँ जात हय कि लरिका बडा हुईके काम करिहय अउर बंश कय नाम उँचा करिहय । ऊ मँुहमा आगी देहय तब मुक्ती मिलिकय स्वर्ग कय प्राप्ती होईहय । बिटिया तव पराई धन होय । कल दोसरेक घरमा भेजा जाई हुँवा ऊ चकिया, चौका करिकय घर सम्हाली लेहय । तव धरम मिलिहय ।


ई मारे अब सब लोग सोंचा जाय कि लरिका जईसे बिटियनका भी बरब्बर कय शिक्षा दिहाँ जाय । बिटिया पढिहय तव दुसरे घरमा जईहँय तव हुँवा शिक्षा आगे बढिहय । ई मेर से बिटियय एक शिक्षित परिवार बनाई देहँय । मेहरुवनका अब पर्दा कय जरुरत नांही बरब्बर केर अधिकार केर साथ बरब्बर शिक्षा भी लेयक आज जरुरी हय । हिन्दुवन कय पुरान जमानामा मेहरुवनका बहुतय अधिकार रहा । जब जमिनमा बहुत अत्याचार बढा तव ऊ समयमा भी ब्रम्हा, बिष्णु, महेश अउर सब देवतनका जमिन अउर अपने रक्षा कय खातिर शक्ति स्वरुपा माता दुर्गा का पईदा किहाँ गवा । जब धरम कय उप्पर अत्याचार बढा तव देवमाया न्यौपाने जईस महिला धरम बचावय केर खातिर आपन जान दईदिहिन ।
यही शुक्रवार दिन से नेपाल मा चार शहिद का याद किहाँ जईरहा हय । शहिद दिवस मईहाँ हम लोग शाहसी अउर धार्मिक महिला योगमाया न्यौपानेका भी याद करित हन । अईस मेहरुवाका हमार श्रद्धाञ्जली…….। (स्रोतः समाज जागरण साप्ताहिक)

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